नई दिल्ली: नवरात्रि में इस बार योगी आदित्यनाथ ने पूजा हवन नहीं किया. न ही कन्या पूजन की. वे उस मठ में भी नहीं गए, जिसके वे महंत हैं. जिस समय उन्हें राजा पाठ करना था, वे पीएम नरेन्द्र मोदी से पाँच कर रहे थे. यूपी में कोरोना वायरस को लेकर प्रधान मंत्री को जानकारी दे रहे थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार योगी ने पूजा की परंपरा तोड़ी. गोरखपुर जाने के बदले वे लखनऊ में लगातार बैठकें करते रहे. योगी यूपी का सीएम होने के साथ साथ गोरक्ष पीठ के महंत भी हैं. नाथ संप्रदाय का ये सबसे बड़ा मठ है. देश भर में इस संप्रदाय के लाखों अनुयायी हैं.


योगी आदित्यनाथ के लिए नवरात्रि का विशेष महत्व रहा है. पूरे नौ दिन वे व्रत रखते हैं. गोरखनाथ मंदिर में पूजा पाठ होता रहता है. पहले दिन कलश पूजन के साथ वहां अनुष्ठान शुरू हो जाता है. सारी व्यवस्था मठ की पहली मंजिल पर ही होती है. परंपरा है कि इस दौरान पीठाधीश्वर और उनके उत्तराधिकारी मठ से नीचे नहीं उतरते. शारदीय नवरात्र में तो यह अनिवार्य होता है, चैत्र की नवरात्र में भी ऐसी ही उम्मीद की जाती है.


इस दौरान पूजा-पाठ के बाद रूटीन के काम और खास मुलाकातें ऊपर ही होती हैं. समापन नवमी के दिन कन्या पूजन से होता है. जिसे पीठ के उत्तराधिकरी या पीठाधीश्वर करते हैं. वर्षों से योगी आदित्यनाथ इस परंपरा को निभाते रहे हैं. इस बार कोरोना के कारण लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों के अनुपालन में उन्होंने कन्या पूजन भी नहीं किया. हाल के वर्षों में यह पहली बार हुआ जब योगी ने कन्या पूजन नही किया.


इस बार के अभूतपूर्व संकट में तो वह गोरखनाथ मंदिर गये ही नहीं. जहां रहे वहीं परंपरा के अनुसार पूजा-पाठ किया. वैसे ये दूसरा मौक़ा है जब योगी आदित्यनाथ ने पूजा की परंपरा तोड़ी है. पहली बार ऐसा 30 सितम्बर 2014 को हुआ था. गोरखपुर कैंट स्टेशन के पास नंदानगर रेलवे क्रासिंग पर लखनऊ-बरौनी और मडुआडीह-लखनऊ एक्सप्रेस की टक्कर हुई थी. रात हो रही थी. ठंड भी पड़ने लगी थी. हादसे की जगह से रेलवे और बस स्टेशन की करीब 5-6 किमी की दूरी. हजारों यात्री. साधन उतने थे नही.


सामान और परिवार के साथ स्टेशन तक पहुंचना मुश्किल था. खास कर उनको जिनके साथ छोटे बच्चे और महिलाएं थी. तब वे गोरखपुर के सांसद थे. हालात की गंभीरता देखते हुए वर्षो की परंपरा तोडक़र वह मौके पर पहुंचे. साथ मे उनके खुद के संसाधन और समर्थक भी. प्रशासन भी सक्रिय हुआ. देर रात तक सब सुरक्षित स्टेशन पहुंच चुके थे. इस साल नवरात्रि के पहले दिन योगी ने अयोध्या में रामलला की पूजा की थी. उस दिन 27 सालों बाद भगवान टेंट से बाहर आए थे.