आइसीएमआर ने कोविड वैक्सीन ट्रैकर के डेटा से पता लगाया कि कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज संक्रमण को गंभीर होने से रोकता है. साथ ही मृत्यु दर को रोकने में भी प्रभावशाली है. वहीं दोनों डोज से सुरक्षा और बढ़ जाती है. आइसीएमआर के मुताबिक कोरोना वैक्सीन से जुड़ा डेटा 18 अप्रैल से 15 अगस्त की बीच का जिसे एनालिसिस किया गया है.
कोरोना टीके का टीका कितना प्रभावी है इसे पता करने के लिए आइसीएमआर ने कोविड वैक्सीन ट्रैकर तैयार किया है जिसे वैक्सीन के प्रभाव और उसके असर का पता चल सके. ये कोविड वैक्सीन ट्रैकर नेशनल हेल्थ मिशन CoWin, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की कोविड इंडिया पोर्टल और आइसीएमआर टेस्टिंग डेटाबेस से डेटा लेकर उसे एनालिसिस करेगा.
18 अप्रैल से 15 अगस्त के बीच डेटा के अध्ययन करने पर पाया गया कि देश में दी जा रही दोनों कोविड वैक्सीन संक्रमण से बचाव और मृत्यु दर रोकने में काफी कारगर है.
आइसीएमआर के कोविड वैक्सीन ट्रैकर के एनालिसिस के मुताबिक
1- कोरोना संक्रमण से मौत के खिलाफ टीकों का सुरक्षात्मक प्रभाव है.
2- एक डोज मृत्यु दर को रोकने में 96.6% प्रभावशाली है.
3- वहीं वैक्सीन की दोनों डोज मृत्यु दर को रोकने में 97.5% प्रभावशाली है.
4- वैक्सीन हर आयुवर्ग में प्रभावी पाई गई है.
मृत्यु के खिलाफ यह टीका सुरक्षात्मक प्रभाव सभी आयु समूहों में है चाहे वो 60 साल से ऊपर हो या 45 से 59 आयुवर्ग या 18 से 44 वर्ष की आयुवर्ग हो. ये सभी आयु समूहों में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया गया है जब हमने तीन डेटा बेस को संयुक्त किया है.
यानी कोरोना के टीके से बचाव हो रहा है. संक्रमण हो भी जाएं तो उतना गंभीर नहीं हो रहा है वहीं इसे मृत्यु दर में भी कमी आई है और ये उसे कम करने में भी प्रभावी है.
देश में अब तक 72 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 18 साल से ज्यादा आयुवर्ग के 58 फीसदी लोगों को पहली डोज और 18 फीसदी लोगों को दोनों डोज दी जा चुकी है.
वहीं 99 फीसदी हेल्थकेयर वर्करों को पहली डोज और 84 फीसदी को दूसरी डोज दी जा चुकी है. इसी तरह 100 फीसदी फ्रंटलाइन वर्करों को पहली डोज और 80 फीसदी को दूसरी डोज दी जा चुकी है. सिंतबर के महीने हर दिन औसतन 78 लाख 10 हजार वैक्सीन डोज दी जा रही है.
यह भी पढ़ें.