नई दिल्ली: भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री से अमेरिका में फंसे भारतीयों के लिए H1B वीज़ा की मियाद बढ़ाने कि मांग की है. असल में कोरोनावायरस और उसकी वजह से फैली आर्थिक मंदी कि वजह से कई अमेरिकी कंपनियां H1B वीज़ा पर काम कर रहे लोगों को निकाल सकती हैं और अगर ऐसा हुआ तो इसके सबसे बड़े शिकार अमेरिका में काम कर रहे हजारों भारतीय होंगे. ऐसे में महज़ 60 दिनों में इन लोगों को नई नौकरी ढूंढ़नी होगी या अमेरिका छोड़ देना होगा.
यही नहीं कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि आर्थिक मंदी को देखते हुए अमेरिका H1B वीज़ा को फिलहाल पूरी तरह से सस्पेंड कर सकता है. असल में अमेरिका में बेरोजगारी साल 2015 में 6 फीसदी से बढ़ कर 2019 मे 21 फीसदी तक पहुंच गई थी. इस साल मार्च तक बेरोजगारी 3000 फीसदी तक पहुंच चुकी है और करीब 6.6 मिलियन लोगों ने Unemployment Benefits के लिये अप्लाई किया है.
H1B वीज़ा Non-Immigrant Working परमिट होता है जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशों से लोगों को खास कार्यों के लिए हायर करते हैं. अब अगर अमेरिकी कंपनियां H1B वीज़ा पे काम कर रहे लोगो को निकालती है या अमेरिकी सरकार इसे फिलहाल स्थगित कर देती है तो साफ है कि इसका सबसे बड़ा नुकसान भारतीयों को ही होगा.
सरकार ने पहले चरण में दी 13 देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल मुहैया कराने की स्वीकृति