नई दिल्ली: कोरोना महामारी, प्रवासी मजदूरों के महापलायन और अर्थव्यवस्था के खराब हालात को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद शुरू कर दी है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 22 मई को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है. 22 मई को दोपहर तीन बजे होने वाली इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश भर के करीब 25 विपक्षी दलों के नेता जुड़ेंगे, जिसकी अध्यक्षता सोनिया गांधी करेंगी. ये पहला मौका है जब कोरोना महामारी के वक्त विपक्षी दल एक साथ आ रहे हैं.


बैठक की जानकारी देते हुए कांग्रेस पार्टी के सूत्र ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने में मोदी सरकार नाकाम रही है. प्रवासी मजदूरों के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए, उल्टे उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया. 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज एक मजाक है. इन मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों की बैठक बुलाई जा रही है. सीपीआई नेता डी राजा ने बैठक के आमंत्रण की पुष्टि की है. राजा ने कहा कि उन्हें बैठक का न्यौता मिला है, लेकिन अभी विषय की जानकारी नहीं है.


सूत्रों के मुताबिक विपक्षी दलों की बैठक में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, डीएमके नेता स्टैलिन, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव समेत लगभग 25 दलों के नेता शामिल हो सकते हैं.


कोरोना महामारी के कारण 31 मई तक लॉकडाउन बढ़ाया गया है. लॉकडाउन के कारण बड़े शहरों से सैंकड़ों मजदूर पैदल अपने घर लौटने को विवश हैं. लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था पर भारी संकट मंडरा रहा है. ऐसे में देखना होगा कि विपक्षी दलों की बैठक में सरकार को किस तरह घेरा जाता है या फिर विपक्षी दलों की तरफ से सरकार को क्या सुझाव दिए जाते हैं?