कोरोना संकट में बिना रुके जिम्मेदारी निभा रहे हैं बिजली विभाग के कर्मचारी, पढ़ें उन्हें समर्पित ये कविता
घरों से लेकर अस्पतालों तक लगातार बिजली पहुंचाने की कोशिश में दिन-रात जुटे इस क्षेत्र के कर्मचारियों को कविता के माध्यम से धन्यवाद कहा गया है. उनके साहस और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना को सलाम किया गया है.
नई दिल्लीः कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन लगाया गया. लोगों को सलाह दी गई कि वे अपने घरों में रहें और अपनों का ख्याल रखें. लेकिन इस दौरान कई लोग बिना थके और बिना रुके अपना काम करते रहे ताकि लोगों की जिंदगी में ज्यादा तकलीफ न आए. इनमें पुलिस, डॉक्टर और जरूरी सेवाओं में लगे लोग शामिल हैं. बिजली विभाग भी इन्हीं में से एक है. इसके कर्मचारियों ने गजब का साहस और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी दिखाई. वे बिना थके और बिना थमे काम कर रहे हैं.
बिजली ही है जिसके सहारे हम घर में रहकर भी दुनिया से जुड़े हुए हैं. फेसबुक, ट्विटर, सोशल मीडिया, इंटरनेट, टीवी, फिल्में सब बिजली की बदौलत ही लोगों को मिल रही हैं. हम लगातार सूचना पा रहे हैं और अपना मनोरंजन कर रहे हैं. बिजली की वजह से ही अस्पताल में लगातार काम चलता रहा, मरीजों का इलाज होता रहा और दूसरी जरूरी सेवाएं भी जारी रहीं. ऐसें में हमें लगातार बिजली पहुंचाने की कोशिश में दिन रात जुटे बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों को एक कविता के माध्यम से धन्यवाद कहा गया है. यह कविता टाटा पावर डीडीएल ने बिजली विभाग के कर्मचारियों को समर्पित की है.
ठहरे हुए वक्त में जब दुनिया थम गई जो रुक के बैठ जाऊं ऐसा भी मैं नहीं
डॉक्टर तो नहीं, न हूं मैं कोई सिपाही ना है मेरे पास इस मर्ज़ की कोई दवाई बस है एक तमन्ना, दिलों को रोशन करने की
हूं सबके साथ, हर पल मैं जैसे एक परछाई अस्पताल की भीड़ देख बैठ जाता है दिल सबका एक सुकून दिला सकूं बस यही है मेरा जज्बा
ये उम्मीदों का मंदिर है, नाउम्मीद होके ना जाए कोई रहे जगमगाते यह हमेशा बस हर पल यही कोशिश है मेरी बिजली के खंभों पर चढ़कर जब नीचे शहर ये दिखता है, तारों को तार से जोड़कर, एक अजब सा सुकून मिलता है, राहत में होंगे अब सारे अपने, मैं इस पर खुश हो जाता हूं फिर से एक नए शिकवे, फरियाद की ओर कदम बढ़ाता हूं
मौसम का मुझको डर नहीं दिन रात का कुछ असर नहीं सूरज के तप से जलता मैं जहां शीतल चांदनी भी ठिठुराती वहीं
कह दो जाकर में हूं यहां एक यकीन तुम्हें दिलवाता हूं, प्रहरी हूं मैं जब सबके लिए, इस वक्त से तू घबराता क्यों
ठहरे हुए वक्त में जब दुनिया थम गई जो रुक के बैठ जाऊं ऐसा भी मैं नहीं ऐसा भी मैं नहीं ऐसा भी मैं नहीं
टाटा पावर डीडीएल ने कहा, ''भारतीय बिजली क्षेत्र के जांबाजों को समर्पित यह कविता उन कर्मचारियों के लिए हमारा आभार है जो इस मुश्किल दौर में भी हमारी खातिर कोरोना संक्रमण की आंधी से जूझते हुए हमें बाधारहित बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रहे हैं ताकि हमें लॉकडाउन का पालन करने में कोई मुश्किल न हो. इन बहादुर नायकों के प्रयासों से ही कोरोना के खिलाफ हमारे इरादों को मजबूती मिल रही है.''
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