नई दिल्ली: मीडिया को निर्देश दिया जाए कि वह दिनभर टीवी पर कोरोना से हुई मौतों, श्मशान घाट और रोते बिलखते हुए परिवारों की तस्वीरें न दिखाएं, इस मांग के साथ दिल्ली हाई कोर्ट में दायर हुई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया. याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मीडिया का काम है, सच सामने रखना और कोरोना की वजह से हुई मौत का आंकड़ा बताना कहीं से भी निगेटिव न्यूज़ नहीं कहा जा सकता. लिहाज़ा इस याचिका को खारिज किया जा रहा है.
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था कि मौजूदा वक्त में कोरोना के चलते अधिकतर लोग अपने घरों में ही मौजूद हैं और घर में मनोरंजन के लिए अक्सर पूरे परिवार के साथ बैठकर टीवी देखते हैं. इसमें भी कई बार न्यूज़ चैनल देखते हैं, जिससे कि पता चल सके कि देश दुनिया में क्या चल रहा है, लेकिन अक्सर यह होता है कि जब भी न्यूज़ चैनल देखते हैं, उस पर इस तरीके की तस्वीरें और खबरें आ रही होती हैं, जिसके चलते देखने वालों में एक निराशा का माहौल बन जाता है. याचिकाकर्ता ने अपनी इस याचिका में बच्चों, बूढ़ों और बीमार लोगों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी तस्वीरें और जानकारी देखने से वह लोग और ज्यादा हताश हो जाते हैं. इन तस्वीरों की बजाए लोगों में सकारात्मकता भरने वाली चीज़ें दिखाई जाएं, जिससे कि लोग इस नकारात्मक माहौल से बाहर निकल सकें.
यह कोई पहली बार नहीं जब इस तरह की कोई याचिका किसी अदालत में दायर हुई हो. इससे पहले भी मीडिया के कामकाज को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अलग-अलग याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं और अलग-अलग अदालतों ने मीडिया की उपयोगिता बताते हुए अपनी टिप्पणियां की हैं. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मीडिया की कवरेज पर रोक लगाने वाली और सवाल उठाने वाली याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि मीडिया का काम है कि वह लोगों के सामने तथ्य लाए और उसको यह काम करने से रोका नहीं जा सकता.
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