LNJP में बनेगा दिल्ली का दूसरा प्लाज़्मा बैंक, डोनर्स को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई काउंसिलर की टीम
एलएनजेपी दिल्ली का पहला अस्पताल है जहां प्लाज़्मा का ट्रायल किया गया था. पहले फ़ेज़ में 20 व्यक्तियों को प्लाज्मा दिया था. दूसरे फ़ेज़ में 200 लोगों को प्लाज़्मा देने की इजाज़त मिली है.
नई दिल्ली: कोरोना के इलाज में प्लाज़्मा थेरेपी काफी मरीज़ों के लिए वरदान साबित हुई है. कोरोना के हल्के और मॉडरेट संक्रमित मरीजों का प्लाज़्मा थेरेपी के जरिए सफल इलाज किया जा रहा है. दिल्ली में देश का पहला प्लाज़्मा बैंक ILBS (इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज) में बनाया गया है और अब दिल्ली का दूसरा प्लाज़्मा बैंक कोरोना के इलाज में लगे सबसे बड़े अस्पताल एलएनजेपी (लोक नायक अस्पताल) में तैयार किया जा रहा है. जल्द ही प्लाज़्मा डोनेट करने वाले लोगों के लिये इसे शुरू कर दिया जायेगा.
एलएनजेपी दिल्ली का पहला अस्पताल है जहां प्लाज़्मा का ट्रायल किया गया था. पहले फ़ेज़ में 20 व्यक्तियों को प्लाज्मा दिया था. दूसरे फ़ेज़ में 200 लोगों को प्लाज़्मा देने की इजाज़त मिली है, जिसमें से 40 मरीज़ को प्लाज़्मा दिया जा चुका है. यानी अब तक कुल 60 मरीज़ों का प्लाज़्मा थेरेपी के ज़रिए इलाज किया जा चुका है.
एलएनजेपी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर सुरेश कुमार ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया, "प्लाजमा थेरेपी बहुत ज्यादा कारगर साबित हो रही है. पहले हमें ILBS से प्लाज्मा लेना होता है. लेकिन लोकनायक अस्पताल में प्लाज़्मा बैंक शुरू होने के बाद हमारी निर्भरता ILBS पर नहीं होगी. जो हमारे यहां से ठीक हुए मरीज़ हैं, उनसे ही हम प्लाज्मा ले सकते हैं. हर दिन 10 से 15 मरीज़ यहां प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं, अगर ज़रूरत पड़ी तो इसको हम 24 घंटे भी चला सकते हैं."
फिलहाल यहां पर एक प्लाज़्मा फेरेसिस मशीन है, जिसके ज़रिये प्लाज़्मा लिया जायेगा. डॉ सुरेश कुमार के मुताबिक, "प्लाज्मा लेने के अलावा इस मशीन के और भी फायदे हैं, जैसे किसी को अगर प्लेटलेट चाहिए तो प्लाज्मा के साथ यह प्लेटलेट्स को भी अलग करती है, इसके अलावा अन्य फंक्शन्स भी हैं. जल्द ही ये सुविधा अब हमारे अस्पताल में भी शुरू हो जाएगी. अभी हम चार से पांच प्लाज्मा प्रतिदिन दे रहे हैं."
खास बात ये है कि एलएनजेपी कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल है, ऐसे में माना जा रहा है कि यहां ठीक हुए मरीज़ प्लाज़्मा डोनेट करते हैं, तो काफी संख्या में डोनर्स यहां उपलब्ध हो सकेंगे. डॉ सुरेश कुमार का कहना है, "3000 से ज्यादा लोग हमारे यहां से ठीक हो कर जा चुके हैं, इसलिये उम्मीद है कि डोनर्स काफी संख्या में हमारे पास आएंगे. डोनर्स की काउंसिलिंग के लिये पिछले हफ्ते ही हमने तीन काउंसिलर नियुक्त किए हैं, जो डिस्चार्ज हुए मरीजों को फोन करके उनको समझाते हैं कि इससे क्या फायदा है और कोई नुकसान तो नहीं है. सभी पुराने ठीक हुए मरीज़ों से भी फोन के जरिये संपर्क किया जायेगा. लोगों को समझाया जायेगा कि ये पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया है. डोनर्स आराम से प्लाज़्मा डोनेट करके जा सकते हैं. हम सभी डोनर्स से अपील करते हैं कि लोग आगे आए हीरो बने और प्लाज्मा से जो पीड़ित व्यक्ति हैं, उनकी जान बचाने का नेक काम करें.
प्लाज़्मा डोनेट करने आये लोगों के मन मे संदेह हो सकता है कि कोविड अस्पताल में आकर कहीं वो दोबारा संक्रमित न हो जाएं. इस भ्रम को दूर करने के लिए प्लाज़्मा बैंक तक पहुंचने के लिए अस्पताल में ग्रीन एरिया बनाया गया है, जो पूरी तरह से सुरक्षित है. साथ काउंसिलर की टीम भी लोगों को जागरूक करेगी. एलएनजेपी में तैयार नए प्लाज़्मा बैंक में डोनेशन के लिए 2 नर्सिंग स्टाफ, एक रेसिडेंट डॉक्टर, 2 लैब टेक्नीशियन और एक काउंसिलर मौजूद रहेंगे. 1 टीम की शिफ्ट 8 घन्टे की होगी. एक बार में 200 प्लाज़्मा स्टोर किए जाने की क्षमता है. सामान्य तापमान में प्लाज़्मा को 24 घन्टे तक इस्तेमाल किया जा सकता है. -40 डिग्री से लेकर -80 डिग्री के तापमान में अगर प्लाज़्मा को स्टोर किया जाए तो प्लाज़्मा 1 साल तक स्टोर किया जा सकता है.
गौरतलब है कि अभी केवल ILBS में प्लाज्मा बैंक होने के कारण इसकी मांग और सप्लाई में अंतर ज़्यादा है. वर्तमान समय में ILBS के प्लाज्मा बैंक में हर दिन औसतन 10-12 प्लाज्मा डोनर पहुंचते हैं, जबकि मांग औसतन 20 की है. इसे देखते हुए ही दिल्ली सरकार ने कुछ दिन पहले ही प्लाज्मा बैंक के नियमों में बदलाव किया और प्लाज्मा लेते समय रिप्लेसमेंट डोनर मुहैया कराने को अनिवार्य बना दिया गया. हालांकि एलएनजेपी अस्पताल में प्लाज्मा बैंक की शुरुआत के बाद शायद ये समस्या हल हो सके.