नई दिल्लीः जब भी कोई देश किसी बड़ी आपदा को झेल रहा होता है, तब वहां के लोग डर व घबराहट के साये में जी रहे होते हैं और ऐसी हालत में वे न सिर्फ सुनी सुनाई बातों पर भरोसा कर लेते हैं, बल्कि लोगों की अधकचरी सलाह पर यकीन करते हुए खुद ही अपने डॉक्टर भी बन जाते हैं. कोरोना महामारी के इस भयानक दौर में हमारे देश में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज अपने 'मन की बात 'कार्यक्रम के जरिये लोगों से यह अपील करनी पड़ी है कि वे सिर्फ सही सोर्स से ही जानकरी लें और वैक्सीन को लेकर किसी तरह की अफ़वाह पर यकीन न करें. ऐसे नाजुक दौर में यह वक़्त का तकाजा है कि हर देशवासी पीएम की इस बात को न सिर्फ गंभीरता से ले बल्कि उस पर अमल भी करे.


प्रधानमंत्री को देशवासियों से यह अपील करने के लिए अगर मजबूर होना पड़ा, तो जाहिर है कि उन्हें ये पुख्ता सूचना मिली होगी कि कुछ शरारती ताकतें इस 'संकटकाल' का फायदा उठाने के लिये कई तरह की अफवाहों का सहारा ले सकती हैं. जहां सामान्य हालात में ही सिर्फ एक अफवाह पूरे देश में अफरातफरी मचाने की ताकत रखती हो, फिर ऐसे आपदा भरे माहौल में तो यह काम और भी आसान है. अब तो यह आंशका भी हक़ीक़त में तब्दील होती दिखती है कि हाल ही में रेमडेसिविर जैसे जीवनरक्षक इंजेक्शनों का जो कृत्रिम संकट पैदा किया गया, उसके पीछे भी कहीं न कहीं अफवाह ही थी, जिसका मकसद इसकी जमाखोरी व कालाबाज़ारी करना ही था. वैसे इस सच को कौन झुठला सकता है कि किसी भी चीज की पहले जमाखोरी व फिर उसकी कालाबाजारी करने वालों की हमारे देश में एक समानांतर सत्ता चलती है, जिसने अतीत में असली सत्ता के कारिंदों को कई मर्तबा अपने इशारों पर चलाया है.


शायद आप भूल गए हों कि पिछले महीने जब 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने का ऐलान हुआ, तो उसके बाद कई दिनों तक वैक्सीन केंद्रों पर गिनती के लोग ही पहुंच रहे थे और नर्सिंग स्टाफ दिन भर ऐसे ही खाली बैठा रहता था. फिर अचानक दिल्ली से किसी ने ये बात फैलाना शुरू कर दी कि "वैक्सीन जल्दी लगवा लो क्योंकि बाद में यह नहीं मिलने वाली है. सरकार इसे मुफ्त में लगाना बंद करने वाली है." देखते ही देखते यह बात जो कि सिर्फ एक अफवाह थी, ऐसी फैली कि दिल्ली छोड़िए, पूरे देश में वैक्सीन लगवाने के लिए बेतहाशा भीड़ उमड़ पड़ी. कई राज्यों में वैक्सीन सेन्टर इसलिये बंद करने पड़े क्योंकि वहां स्टॉक ही खत्म हो गया था. डॉक्टर और प्रशासन आज तक यह नहीं समझ पाए कि शुरुआती दस दिनों तक जो लोग वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे थे, उन्हें आखिर एक-दो दिन में ऐसा क्या हो गया कि लोग अब इसके लिए इतने बावले हो गये. दरअसल, वह भी ऐसी ही एक अफ़वाह थी जिसने अपना पुरजोर असर दिखाया. उसने लोगों में यह डर पैदा कर दिया था कि अगर सरकार ने वैक्सीन लगाना बंद कर दिया या फिर वो खत्म हो गई, तो प्राइवेट अस्पतालों से इसे महंगी कीमत पर लगवाना पड़ेगा.


शायद इसीलिए पीएम मोदी को आज इस बात पर जोर देना पड़ा कि वैक्सीन को लेकर किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं. उन्होंने कहा कि "कोरोना के इस संकट काल में वैक्सीन की अहमियत सभी को पता चल रही है, इसलिए मेरा आग्रह है कि वैक्सीन को लेकर किसी भी अफवाह में न आएं. भारत सरकार की तरफ से अभी मुफ्त वैक्सीन का जो कार्यक्रम चल रहा है, वो आगे भी चलता रहेगा. मेरा राज्यों से भी आग्रह है कि वो भारत सरकार के इस मुफ्त वैक्सीन अभियान का लाभ अपने राज्य के ज्यादा से ज्यादा लोागें तक पहुंचाएं." साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ''मैं आप सबसे आग्रह करता हूं, आपको अगर कोई भी जानकारी चाहिए हो, कोई और आशंका हो तो सही सोर्स से ही जानकारी लें. आपके जो फैमली डॉक्टर हो, आस-पास के डॉक्टर हों, आप उनसे फोन से संपर्क करके सलाह लीजिए.''