नई दिल्ली: 2019 के अंत में शुरू हुआ कोरोना वायरस, 2020 को लाचार और बीमार बनाने के बाद क्या साल 2021 को भी अपनी आगोश में ले लेगा? क्या 2020 में लाखों लोगों की जान लेने वाला कोरोना वायरस 2021 में भी मौत का तांडव करता रहेगा? क्या 2020 में अब तक 50 लाख से ज्यादा लोगों को बीमार बना चुका कोरोना क्या 2021 में भी लोगों को लाचार और बीमार बनाता रहेगा? क्या अब दुनिया की कोई ताकत अब कोरोना को नहीं रोक पाएगी. अमेरिका, चीन, इजराइल, इटली में बन रही दवाई बेसअर रह जाएगी और क्या 2020 में लोगों को घरों कैद कर देने वाला कोरोना, 2021 में भी लोगों को दुर्दिन दिखाएगा?


क्या सच में 2019 में चुपके से चला कातिल कोरोना 2020 की दहलीज को पार कर 2021 में भी दस्तक दे जाएगा? ये आशंका रूपी सवाल इसलिए जन्मे हैं क्योंकि जो सुपर पावर अमेरिका आज कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा परेशान है, जो सबसे ज्यादा तेज़ी से कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने में लगा है, उस अमेरिका के रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन की एक रिपोर्ट के कुछ दस्तावेज लीक हुए हैं जिसमें अमेरिकी सेना के मुख्यालय पेंटागन की तरफ से दो दावे किए गए हैं. पहला दावा है कोरोना वायरस 2020 ही नहीं बल्कि अगले साल 2021 की गर्मियों तक रहने वाला है और दूसरा दावा है अगले एक साल तक कोरोना वायरस की कोई भी वैक्सीन तैयार नहीं हो पाएगी. 2021 में जून के बाद ही वैक्सीन आने की उम्मीद है. साथ ही पेंटागन ने ये अंदेशा जताया है कि जहां भी वायरस का असर कम हुआ वहां वायरस फिर से लौट कर लोगों को शिकार बनाएगा, लोगों को बीमार बनाएगा और सीधे शब्दों में कहें तो 2021 के जून-जुलाई से पहले कोरोना वायरस कहीं नहीं जाएगा, कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.



पेंटागन के लीक दस्तावेज की मानें तो अब तक अमेरिका की तरफ से दवा बनाने का जो भी दावा किया गया क्या वो सारे दावे और वादे खोखले निकल जाएंगे. क्या सितंबर से दिसंबर के बीच दवा आने की दुआ पूरी नहीं हो पाएगी क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने तो मार्च महीने में ही कोरोना वायरस को चाइनीज वायरस करार देते हुए वैक्सीन के ट्रायल का एलान कर दिया था और ट्रंप के इस ऐलान के बाद माना यही जा रहा था कि 2020 के अंत तक कोरोना की काट रखने वाला कोई ना कोई टीका तो तैयार कर ही लिया जाएगा. खबर ये भी आई अमेरिकी सरकार अपने मुल्क को बचाने के लिए, वैक्सीन बनाने के लिए परमाणु वैज्ञानिकों तक की मदद ले रही है और भारतीय वैज्ञानिक भी उनका साथ दे रहे. ऐसे में सबसे पहले दवा बनाकर अमेरिका एक बार फिर से अपने सुपर पावर होने का अहसास दुनिया को करा देगा.


राष्ट्रपति ट्रंप ने डंके की चोट पर दावा भी यही किया 2020 के अंत तक कोरोना से बचाने वाली दवा इंसानों के हाथ में होगी, कोरोना से बची जानें साथ में होंगी. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे पर अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन की लीक हुई रिपोर्ट ने कटघरे में खड़ा दिया है, क्योंकि पेंटागन की रिपोर्ट कहती है कि 2021 के जून-जुलाई तक कोई भी कोरोना का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, कोरोना फैलता रहेगा और दुनिया के किसी ना किसी कोने में विस्तार करता रहेगा. इससे लड़ने के लिए अमेरिका अपनी सेना को भी तैयार करने में जुट गया है और शायद इसीलिए देश में 94 हजार से ज्यादा मौत और 15 लाख से ज्यादा लोगों के संक्रमित होने के बाद अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीकी सेना के सामने लंबा रास्ता है और सेना को दोबारा अपने अहम मिशन में जुटना चाहिए. सेना के जवानों को कोरोना के दोबारा फैलने को लेकर पूरी तरह तैयार रहना होगा, हालांकि कोरोना की वैक्सीन को लेकर अमेरिका में कुछ पॉजिटिव रिजल्ट सामने आए हैं, लेकिन फिर भी कब तक ये वैक्सीन तैयार हो कर बाजार में आएगी, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है.



क्या ये मान लिया जाए कि कोरोना 2020 ही नहीं 2021 में भी हजारों-लाखों की जान ले जाएगा? क्या ये मान लें कि इस साल के भीतर कोरोना का कोई इलाज नहीं मिल पाएगा क्योंकि अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वर भी बदले-बदले से लग रहे हैं. ट्रंप एक तरफ कहते हैं, उन्हें वैक्सीन के ट्रायल पर भरोसा है तो दूसरी तरफ कहते हैं वायरस बिना वैक्सीन के ही चला जाएगा और ऐसा कहने के पीछे तर्क यही है कि इससे पहले भी जो खतरनाक वायरस आए वो एक लंबी समयावधी के बाद खुद-खुद समाप्त हो गया या उनकी वैक्सीन तैयार कर ली गई है, मसलन 1918 के अंत में खतरनाक संक्रामक बीमारी स्पेनिश फ्लू आया था.



स्पेनिश फ्लू ने पूरी दुनिया में करीब 6 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ली जिनमें से करीब 1 करोड़ 80 लाख मौतें हिंदुस्तान में हुई थीं लेकिन 1920 के अंतर से पहले करीब डेढ़ साल बाद स्पेनिश फ्लू दुनिया से चला गया और उसी को ध्यान में रखते हुए ये दावा किया जा रहा है कि वक्त के साथ कोरोना वायरस भी कमजोर पड़ जाएगा और वैक्सीन बनने से पहले इंसानों की इम्यूनिटी कोरोना को हरा देगी. मजबूत इन्यूनिटी के लोग ना सिर्फ कोरोना को मात देंगे, बल्कि उनसे संक्रमण भी नहीं फैलेगा. जब ऐसे लोगों की इम्यूनिटी मजबूत होती जाएगी, कोरोना वायरस भी स्पेनिश फ्लू की तरह खुद खत्म हो जाएगा लेकिन सवाल फिर वही कि उसमें, कितना वक्त लगेगा? इसके जवाब में पेंटागन की रिपोर्ट कहती है कि कम से कम 2021 के जून-जुलाई तक का वक्त तो लग ही जाएगा और शायद इसीलिए अब दुनिया के तमाम मुल्क और संस्थान खुद को उस लिहाज से तैयार भी करने लगे हैं.



ब्रिटेन की मशहूर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में सारे लेक्चर 2021 की गर्मियों तक ऑनलाइन होंगे. ओलंपिक को भी जुलाई 2021 तक टाला गया है. उम्मीद है कि जुलाई 2021 तक हालात ठीक हो जाएगा लेकिन जुलाई 2021 तो अभी 1 साल 2 महीने दूर है और कोरोना ने जब इतने कम वक्त में इतनी तबाही मचाई है, 1 साल के वक्त में तो ना जाने क्या ही कर देगा? ब्रिटेन के वैज्ञानिक भारत और अमेरिका समेत 16 देशों की स्थिति पर रिसर्च के बाद ये बताया है कि दुनिया को कोरोना काल में चलने के लिए लोगों की जान और नौकरियां दोनों बचाने के लिए 2021-22 तक 80 दिन का फॉर्मूला अपनाना होगा. देशों को 50 दिन लॉकडाउन करना होगा और 30 दिन लॉकडाउन में ढील देनी होगी जिससे संक्रमण भी कम फैलेगा और मंदी की वजह से नौकरियां भी नहीं जाएगी, दुनिया लड़खड़ाएगी जरूर लेकिन रुकेगी नहीं, चलती जाएगी, जीतती जाएगी.