नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार गंभीर श्वास संक्रमण (एसएआरआई) से पीड़ित कोरोना वायरस संक्रमित कुल 104 मरीजों में से 40 मरीज ऐसे पाए गए जिन्होंने न विदेश यात्रा की थी और न ही वे किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए थे. आईसीएमआर ने 15 फरवरी से दो अप्रैल के बीच 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 52 जिलों में एसएआरआई से पीड़ित 5,911 मरीजों की कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर औचक जांच की थी जिसमें यह निष्कर्ष सामने आया.
जांच के वास्ते लिए गए कुल नमूनों में से 104 लोगों में (दो प्रतिशत से कम) कोरोना वायरस की पुष्टि हुई. आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार इन 104 लोगों में से 40 ऐसे थे जिन्होंने हाल ही में न तो विदेश यात्रा की थी और न ही वे कोरोना वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आए थे.
बृहस्पतिवार को जारी एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार एसएआरआई से पीड़ित मरीजों के कोरोना वायरस संक्रमण के चपेट में आने की संभावना 14 मार्च से पहले शून्य प्रतिशत थी जो दो अप्रैल तक बढ़कर 2.6 प्रतिशत हो गई. एसएआरआई सांस की एक गंभीर बीमारी है जिसमें मरीज को निमोनिया हो सकता है या सांस रुक सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस से संक्रमित एसएआरआई के मरीजों के उपचार के लिए पिछले महीने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे. इस संबंध में एक विशेषज्ञ ने बताया कि मौजूदा साक्ष्य के अनुसार एसएआरआई से पीड़ित केवल दो से तीन प्रतिशत मरीजों में ही कोविड-19 की पुष्टि हो सकती है.
आईसीएमआर द्वारा यह पता लगाने के लिए अध्ययन किया गया था कि देश में कोरोना वायरस का संक्रमण सामुदायिक स्तर पर फैलने के चरण में पहुंचा है या नहीं. अध्ययन में कहा गया, “कोविड-19 के कुल 39.2 प्रतिशत मामलों में मरीज न तो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए थे, न उन्होंने विदेश यात्रा की थी.”
अध्ययन के अनुसार दो प्रतिशत मरीज संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए थे और एक प्रतिशत ने विदेश यात्रा की थी. इसमें कहा गया कि कोविड-19 से ग्रसित लोगों में पुरुषों और 50 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों की संख्या ज्यादा थी. आईसीएमआर के अध्ययन में कहा गया कि एसएआरआई से पीड़ित मरीजों वाले जिलों में रोकथाम के कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.
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