भारत में ठीक एक साल पहले चीन से आये कोरोना वायरस ने सभी को हिला दिया था. इससे कैसे बचा जाये ये किसी को नहीं पता था. लोगों के मन में दहशत घर कर गई थी, लेकिन गुजरते समय के साथ लोगों ने इस वायरस के साथ जीने की आदत डाल ली, पर अब फिर से एक साल बाद देश में कोरोना वायरस के दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट के साथ-साथ ब्राजीलियाई वैरिएंट से संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं. दोनों ही वैरिएंट बहुत ही ज्यादा संक्रामक हैं और बहुत तेजी से फैलने वाले हैं. फिलहाल भारत में इनकी संख्या कम मानी जा रही है.
केंद्र सरकार ने स्ट्रेन की पुष्टि करते हुए बताया कि जनवरी में भारत में 4 लोगों के कोरोना के दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट से संक्रमित होने का पता लगा था जबकि फरवरी के पहले हफ्ते में ब्राजीलीयाई वैरिएंट से संक्रमण का एक मामला सामने आया है. आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने बताया कि भारत में बाहर से लौटे 4 लोगों के वायरस के दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है. वहीं संक्रमितों में से 2 लोग दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे जबकि एक-एक व्यक्ति अंगोला और तंजानिया से लौटे थे. सभी यात्रियों और उनके संपर्क में आए लोगों की जांच कर उन्हें आइसोलेशन में रखा गया है.
भार्गव ने बताया कि 'आईसीएमआर-एनआईवी' इन 4 संक्रमित लोगों के नमूनों से दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट को अलग करने और अन्य जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहा है. फरवरी के पहले सप्ताह में ब्राजील से लौटे एक व्यक्ति के वायरस के ब्राजीलीयाई वैरिएंट से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है. इस स्ट्रेन को आईसीएमआर पुणे में सफलतापूर्वक अलग किया गया. ब्राजील और साउथ अफ्रीका वाला वैरिएंट यूके के वैरिएंट से अलग हैं.
बलराम भार्गव ने ये भी पुष्टि की है कि भारत में यूके वैरिएंट के 187 मरीज हैं. और सभी कंफर्म केस को क्वारंटीन किया गया है और इलाज हो रहा है. इनके संपर्क में आने वाले लोगों की भी जांच की गई हैं और उन्हें आइसोलेशन में रखा गया है. उन्होंने कहा कि भारत के पास जो वैक्सीन है उसमें इस यूके वैरिएंट को खत्म करने की क्षमता है. वहीं ब्राजील के स्ट्रेन ने तेजी दिखाते हुये अबतक 15 देशों में अपने पैर पसार लिये हैं.
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