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भारत पर 'कोरोना अटैक', टूरिज़्म से लेकर एविएशन सेक्टर्स तक पर पड़ रहा बड़ा असर

वैश्विक जीडीपी में टूरिज्म सेक्टर की लगभग 10% हिस्सेदारी है. दुनिया भर के टैक्स कलेक्शन में लगभग 10% टैक्स टूरिज्म सेक्टर से ही आता है. दुनिया भर में हर 10 में से 1 नौकरी टूरिज्म सेक्टर से ही आती है.

नई दिल्ली: फॉक्सवेगन ने अपनी नई SUV टी-रॉक का लॉन्च डिजिटल प्लेटफॉर्म पर करने का फैसला लिया है. ऑटोमोबाइल उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स यानी सियाम ने फरवरी 2020 के बिक्री के आंकड़े जारी करने के लिए होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी है. आंकड़े अब मेल पर जारी किए जाएंगे. भारत ने महीने भर के लिए विशेष परिस्थितियों को छोड़कर सभी वीज़ा पर रोक लगा दी है. दिल्ली में मल्टीप्लेक्स और सिनेमाघर पर ग्रहण लग चुका है. ये है कोरोना वायरस के अटैक का भारत पर असर.

सिलसिलेवार तरीके से आपको समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर कोरोना वायरस के अटैक के चलते भारत पर क्या कुछ असर पड़ रहा है.

टूरिज्म सबसे पहले बात करते हैं टूरिज्म सेक्टर की. दुनिया में सबसे ज़्यादा लोगों को रोजगार देने वाले क्षेत्र टूरिज्म पर कोरोना वायरस ने जबरदस्त अटैक किया है. दुनिया की जीडीपी में लगभग 10 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले टूरिज्म सेक्टर की कोरोना वायरस ने कमर तोड़ कर रख दी है. टूरिज्म सेक्टर के जानकार मानते हैं कि इस क्षेत्र की इतनी बुरी हालत पहले कभी नहीं हुई. 1973 से टूरिज्म सेक्टर में काम करने वाली कंपनी STIC ट्रैवल ग्रुप के चेयरमैन और फेडरेशन ऑफ असोसिएशव इन इंडियन टूरिज़्म एंड होस्पिटालिटी (Federation of Associations in Indian Tourism and Hospitality) यानी FAITH के चेयरमैन सुभाष गोयल कहते हैं कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होता है टूरिज्म सेक्टर.

सुभाष गोयल ने कहा कि यह सेक्टर भारत में भी और दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में तकरीबन 10 फ़ीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी रखता है. ऐसे में सरकार ने वीजा जारी करने पर जो रोक लगाई है, उसके चलते होटल इंडस्ट्री टूर एंड ट्रैवल्स और टूरिज्म सेक्टर पर सबसे बुरा असर पड़ेगा, जिसका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर साफ तौर पर देखने को मिलेगा. गोयल ने बताया कि 2019 में एक करोड़ से ज्यादा विदेशी सैलानी भारत आए थे. अकेले मार्च और अप्रैल महीने की अगर हम बात करें तो इन दो महीनों के दौरान तकरीबन 15 से 20 फ़ीसदी सैलानी आते हैं. ऐसे में कोरोना वायरस के डर के चलते पहले ही यह संख्या बेहद कम थी. ऐसे में अब सरकार के वीजा रोक के बाद सेक्टर की कमर टूट जाएगी.

सुभाष गोयल ने कहा, "अमेरिका ने भी अपने यहां कुछ देशों से वीजा पर रोक लगाई है, लेकिन टूरिज्म सेक्टर की अहमियत को देखते हुए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने टूरिज्म सेक्टर के लिए टैक्स में छूट देने की बात कही है. ऐसे में हमारी भी सरकार से मांग है के वीजा के प्रतिबंध चुनिंदा देशों पर लगाया जाए, ना कि दुनियाभर पर. इसके अलावा टूरिज्म सेक्टर को टैक्स में छूट भी दी जाए, वरना यह सेक्टर धराशाई हो जाएगा. इसका पूरा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, लोगों की नौकरी पर आएगा." उन्होंने बताया कि सभी हेरिटेज होटल में बुकिंग ना के बराबर है, जबकि साधारण होटलों में 80 फ़ीसदी या इससे भी ज्यादा कमरे खाली हैं. एक अनुमान के मुताबिक अब तक भारतीय टूरिज्म उद्योग को 500 मिलियन डॉलर का फटका लग चुका है. सेंट्रल यूरोप, गल्फ और साउथ ईस्ट एशिया का आउटबाउंड ट्रैफिक ज़बरदस्त घट गया है. इसके अलावा इनबाउंड ट्रैफिक (घरेलू) भी प्रभावित हो रहा है. वहीं अब 15 अप्रैल तक वीजा पर रोक लगने से यह आंकड़ा बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा.

इसके बाद हमने बात की कॉर्पोरेट ट्रेवल क्षेत्र से जुड़े यूनिग्लोब इंडिका ट्रैवल एंड टूर्स ( uniglobe indica travel and tours ) के प्रेसिडेंट शिबन कोतरु से. उन्होंने बताया कि भारतीय टूरिज्म सेक्टर को अभी तक लगभग 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. उनकी कंपनी की अकेले फरवरी महीने की 1 करोड़ रुपये से ज़्यादा की बुकिंग कैंसिल हो चुकी है. अपने 30-35 साल के करियर में कभी ऐसा दौर नहीं देखा. इसके अलावा गर्मियों की छुट्टीयों में जो बुकिंग आनी थी, वो भी नहीं आ रही हैं. कुल मिलाकर 2 तिमाही यानी 6 महीनों का कारोबार तो बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है. ऐसे में अगर कोरोना वायरस का कहर जारी रहता है, तो अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता है कि हालात क्या होंगे.

एविएशन कोरोना वायरस के खौफ के चलते एविएशन सेक्टर कि पहले ही लगभग 200 से ज्यादा फ्लाइट्स उड़ान नहीं भर रही हैं. ऐसे में अब सरकार ने 15 अप्रैल तक जो वीजा पर प्रतिबंध लगाया है. इसके चलते बड़ी संख्या में फ्लाइट्स ग्राउंड हो जाएंगी. स्पाइसजेट के चेयरमैन अजय सिंह ने एक बयान जारी कर कहा है कि एविएशन सेक्टर बहुत ज्यादा दबाव में है. लेकिन यह अल्पकालिक है. स्पाइसजेट कई अन्य कंपनियों के मुकाबले इस अशांति से निपटने के लिए ज्यादा बेहतर स्थिति में है.

उद्योग चीन को दुनियाभर के उद्योग जगत की सप्लाई चेन का किंग माना जाता है. चीन में कोरोना वायरस फैलने से यह वैश्विक सप्लाई चेन बुरी तरह से प्रभावित होनी शुरू हो चुकी है. भारत के परिपेक्ष में अगर बात करें तो कई सेक्टर्स पर इसका असर दिखना भी शुरू हो चुका है. ऑटोमोबाइल उद्योग तकरीबन 10 फ़ीसदी कल पुर्जे चीन से ही आयात करता है. ऐसे में इन कल पुर्जों की आपूर्ति ना होने के चलते कंपनियों के सामने वाहन निर्माण के क्षेत्र में दिक्कत आनी शुरू हो चुकी है.

इसके अलावा टेक्निकल टैक्सटाइल का निर्यात भी प्रभावित हो रहा है. वहीं, फार्मा कंपनियां कच्चा माल जिसको एपीआई यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट कहते हैं, आने में भी दिक्कतें पेश आ रही हैं. आर्थिक मामलों के जानकार नितिन प्रधान बताते हैं की कोरोना वायरस के चलते इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का इम्पोर्ट भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. इसके चलते आने वाले समय में देश में मोबाइल फोन, एलइडी पैनल आदि की सप्लाई की भी दिक्कत आ सकती है.

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