नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि नर्सों और मेडिकल स्टोर की शिकायतों के निवारण के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर बनाया जा रहा है. इसमें मिलने वाली शिकायतों पर 2 घंटे के भीतर कार्रवाई की जाएगी. मेडिकल स्टाफ इस नंबर पर PPE किट उपलब्ध न होने, वेतन न मिलने से लेकर मकान खाली करने के लिए दबाव बनाए जाने जैसी हर शिकायत कर सकेंगे.


सुप्रीम कोर्ट में यूनाइटेड नर्सेज एसोसिएशन नाम की संस्था की तरफ से कोरोना के इलाज में लगी नर्सों को PPE किट उपलब्ध करवाए जाने की मांग की गई थी. साथ ही हॉस्पिटल में काम करने वाली नर्स और दूसरे मेडिकल स्टाफ को आ रही कई समस्याओं का हवाला दिया गया था.


सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जजों को इस दिशा में उठाए जा रहे कदम की जानकारी दी. हेल्पलाइन नंबर बनाए जाने के आश्वासन पर संतोष जताते हुए जजों ने मामले की सुनवाई बंद कर दी.


सफाई कर्मचारियो का मसला HC में रखें
सुप्रीम कोर्ट में आज सफाई कर्मचारियों को भी PPE किट दिए जाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता हरनाम सिंह की तरफ से पेश वकील का कहना था कि सफाई कर्मचारियों की जान कोरोना के चलते खतरे में है. उन्हें भी PPE किट दिया जाना चाहिए. इसका जवाब देते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “कोरोना के इलाज में सीधे लगे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को विशेष PPE किट दिए जा रहे हैं. सरकार सफाई कर्मचारियों को भी कोरोना योद्धा मानती है. उनका पूरा खयाल रखने की कोशिश की जा रही है. इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से जो सलाह दी गई है, उसके मुताबिक ही काम किया जा रहा है."


इस पर वकील का कहना था कि सफाई कर्मचारियों की जान जा रही है और सरकार को कोई चिंता नहीं है. जजों ने उन्हें रोकते हुए कहा, “आप इस तरह का व्यापक बयान नहीं दे सकते. अगर कोई विशेष घटना हो या किसी राज्य में खास दिक्कत सामने आ रही हो तो वहां के हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की जा सकती है. इस मसले पर कोई देशव्यापी आदेश देने की जरूरत नहीं है."


खेती में दिक्कत नहीं होने देंगे: सरकार
लॉकडाउन के दौरान किसानों को हो रही समस्या का सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से कई सवाल पूछे. याचिकाकर्ता स्वामी अग्निवेश का कहना था कि पुलिस की सख्ती के चलते खेत में किसान काम नहीं कर पा रहे हैं. कृषि मजदूर भी खाली बैठे हैं. उनकी तरफ से पेश वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दलील दी, “सरकार ने एक आदेश पारित कर दिया है, जिसमें खेती से जुड़े काम के लिए लॉकडाउन के दौरान कई तरह की छूट दी गई है. लेकिन गांव के स्तर पर पुलिस इसे लागू नहीं होने दे रही है. नतीजा है खेती का काम लगभग ठप पड़ा है."


सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा, “यह याचिका घर बैठे तैयार करके दाखिल कर दी गई है. केंद्र के निर्देश के बाद राज्य सरकारें पूरी कोशिश में लगी है कि किसानों को कोई दिक्कत न हो. फिर भी केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों से बात करके यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेगी की कृषि जैसी आवश्यक सेवा में कोई बाधा न आए. अगर पुलिस के चलते कोई दिक्कत आ रही है तो उसे भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा. खाली बैठे कृषि मजदूरों को भी मनरेगा के तहत आमदनी दी जा रही है.“


जजों ने सॉलिसिटर जनरल से कहा, “हम आपके इस बयान को दर्ज कर ले रहे हैं कि सरकार किसानों की समस्या को दूर करने के लिए सभी प्रयास करेगी. इस याचिका का निपटारा किया जा रहा है.“