नई दिल्ली: कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में भारत में बने वैक्सीन की बड़ी भूमिका मानी जा रही है. हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन (COVAXIN) नामक वैक्सीन अबतक स्वदेश में तैयार हुई एकमात्र वैक्सीन है. भारत में कोरोना के हालात को देखते हुए मोदी सरकार ने अब इस स्वदेशी वैक्सीन की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए क़दम बढ़ाया है. 


आत्मनिर्भर भारत मिशन 3.0 के तहत चलाए जा रहे मिशन कोविड सुरक्षा के ज़रिए स्वदेश में बने वैक्सीन के विकास और उत्पादन में तेज़ी लाने के लिए सहायता दिए जाने का प्रावधान किया गया है. इसी के तहत केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने भारत बायोटेक कम्पनी को 65 करोड़ रुपये की सहायता अनुदान के तौर पर देने का फ़ैसला किया है. इस पैसे का इस्तेमाल बेंगलुरू में बने भारत बायोटेक के नए सेंटर में वैक्सीन उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाएगा. 


इस सहायता के ज़रिए सरकार का लक्ष्य कोवैक्सीन की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है, जो फ़िलहाल 1 करोड़ डोज़ प्रति महीने है. सरकार का लक्ष्य इस वैक्सीन की उत्पादन क्षमता को मई-जून तक दोगुना करने का है, जबकि जून-जुलाई तक प्रति महीने 6-7 करोड़ डोज़ करने का है. वहीं, सितंबर तक सरकार उत्पादन क्षमता को 10 करोड़ प्रति महीने करना चाहती है. 


मिशन कोविड सुरक्षा के तहत सरकार ने देश में वैक्सीन उत्पादन में तेज़ी लाने के लिए 3 अन्य सरकारी उपक्रमों को भी सहायता देने का फ़ैसला किया है. इसके तहत महाराष्ट्र सरकार की सरकारी कम्पनी हाफकिन बायोफार्मास्यूटिकल कोरपोरेशन लिमिटेड (Haffkine Biopharmaceutical Corporation Ltd) को भी 65 करोड़ रुपये अनुदान के रूप में देने का फ़ैसला किया गया है. कम्पनी को 6 महीने में अपना उत्पादन शुरू करने को कहा गया है. पूरी तरह उत्पादन शुरू होने पर कम्पनी एक महीने में 2 करोड़ डोज़ बना सकने की क्षमता हासिल कर लेगी. 


वहीं हैदराबाद स्थित और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के तहत काम करने वाली कम्पनी इंडियन इम्यूनोलोजिकल्स लिमिटेड (Indian Immunologicals Limited) और बुलंदशहर स्थित भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी भारत इम्युनोलोजिकल्स एंड बायोलॉजिकल्स लिमिटेड (Bharat Immunologicals and Biologicals Limited) को भी वित्तीय सहायता दी जाएगी. एक बार उत्पादन शुरू होने के बाद दोनों कम्पनियां अगस्त-सितंबर तक हर महीने 1-1.5 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन कर सकेंगी.


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