दुनिया में महामारी का रूप ले चुका कोरोना वायरस लोगों को अपनी चपेट में लेता ही जा रहा है. इसके संक्रमण के कारण दुनिया में मौत का आंकड़ा आए दिन बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों का दावा है कि सार्स और मर्स की तरह ये ऐसा खतरनाक संक्रमण है जिसकी चपेट में आने से लोगों की मौत हो रही है. हालांकि इससे संक्रमित मरीजों की मौत की दर पर अभी एक राय नहीं बनी है.


कितनी खतरनाक है कोरोना वायरस की बीमारी ?


चीन में 44 हजार कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों पर एक सर्वे किया गया. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बुजुर्गों में युवाओं के मुकाबले मौत की दर दस गुना ज्यादा पाई गई. जबकि 30 साल से कम उम्र के मरीजों में मौत का फीसद सबसे कम था. 30-45 साल के उम्र के 100 मरीजों में सिर्फ 8 मरीजों की मौत का मामला सामने आया. वहीं डायबिटीज, दिल की बीमारी वाले मरीजों में मौत का फीसद 5 गुना ज्यादा पाया गया. सर्वे में ये बात भी सामने आई कि पुरुषों के मुकाबले औरतों में कोरोना वायरस से मौत का फीसद ज्यादा है. जहां तक बीमारी के ठीक होने की बात है तो मरीज की उम्र, डायबिटीज, दिल की बीमारी, मरीज को मिलनेवाली चिकित्सा सुविधा और उसके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. फिलहाला कोरोना वायरस के कारण मौत की दर सही-सही बताना मुश्किल है.


दवा, वैक्सीन नहीं होने तक सावधानी ही उपाय है


कोरना वायरस के इलाज के लिए अभी तक दवा या वैक्सीन इजाद नहीं हुई है. महामारी के बीच सावधानी ही बेहतर उपाय बताया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से जारी सलाह के मुताबिक हाथ धोने की आदत डालें. छींक और खांसी के मरीजों के संपर्क में आने से बचें. अपनी आंख, नाक, मुंह में उंगली डालने से परहेज करें. सोशल डिसटेंसिंग, मास्क, हैंड सैनेटाइजर जैसे उपाय अपनाकर भी खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है. बाहर निकलते वक्त चेहरे पर मास्क लगाएं. हाथ धोने के लिए साबुन या सैनेटाइजर का इस्तेमाल करें.


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