नई दिल्लीः कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के बीच भारत को विदेशों से लगातार मदद मिल रही है. वहीं कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के खिलाफ लड़ाई में चिकित्सीय ऑक्सीजन जुटाने के लिए भारत ने ओपेक देशों खासकर सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कुवैत का रुख किया है.


धर्मेद्र प्रधान ने मांगी मदद


तेल मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कोविड मरीजों के इलाज के लिए देश में चिकित्सीय ऑक्सीजन की भारी कमी को पूरा करने के लिए भारत के पारंपरिक तेल आपूर्तिकर्ताओं की तरफ रुख किया और सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, कतर और बहरीन के अपने समकक्षों के साथ विचार-विमर्श किया.


प्रधान ने ट्विटर पर लिखा, "पिछले हफ्ते मैंने सऊदी अरब, यूएई और कतर के अपने समकक्षों के साथ भारत में एलएमओ (तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन) का आयात बढ़ाने के तरीकों पर करीबी विचार-विमर्श किया. मैं खासकर यूएई, कुवैत, बहरीन और सऊदी अरब की ओर से मुफ्त एलएमओ की प्ररंभिक आपूर्ति के साथ साथ सदभावना दिखाने की सराहना करता हूं."


सऊदी अरब से लाई जा रही ऑक्सीजन


सऊदी अरब से 80 मीट्रिक टन जीवन रक्षक गैस लायी गई है. ऑक्सीजन को भेजने का काम अडानी समूह और लिंडे कंपनी के सहयोग से हो रहा है. इसके अलावा कुवैत और यूके से भी मेडिकल सामग्री भारत पहुंची है. कुवैत से आई फ्लाइट में 282 ऑक्सीजन सिलेंडर, 60 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वेंटिलेटर्स और बाकी मेडिकल सप्लाई भारत पहुंची है.


 


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