भारत में प्रति मिलियन आबादी पर 3.4 COVID-19 मामले, दुनिया का सबसे कम अनुपात मगर अभी एहतियात में कोई कमी नहीं
Coronavirus: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत ने सक्रियता से कदम उठाए हैं.
नई दिल्ली: समय रहते सावधानी के कदम और लॉकडाउन जैसे कदम के नतीजों ने भारत को कोरोना महामारी के प्रकोप से काफी हद तक सुरक्षित रखा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इस वक्त भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर कोविड मरीजों की संख्या 3.4 है जो दुनिया में सबसे कम है.
विदेशी राजनयिकों और भारत में मौजूद राजदूतों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग संवाद के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत ने जहां एक तरफ सक्रियता से कदम उठाए हैं. वहीं खराब स्थितियों के लिए भी पर्याप्त तैयारी की है.
थिंकटैंक इंडिया फाउंडेशन की तरफ से आयोजित इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रति मिलियन आबादी पर यदि कोविड-19 पॉजिटिव मामलों की संख्या देखी जाए तो भारत में इस का आंकड़ा 3.4 है. जो दुनिया में सबसे कम अनुपात है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारत में इस वक्त 133 जिले हॉट स्पॉट हैं. इनको इलाकों भी दो श्रेणियों में बांटा है, पहला वो जहां 15 से ज्यादा मामले हैं और दूसरे वो जहां 15 से कम केस हैं. कोविड रोकथाम रणनीति का सबसे ज्यादा ध्यान इन इलाकों में ही बीमारी के खिलाफ प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने पर है. इसके अलावा
करीब 7 लाख लोग इस समय सामुदायिक निगरानी के तहत हैं. इनमें अधिकतर वो हैं जो विदेशों से आए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की रेपिड रिस्पांस टीमें और सर्वेलेंस अधिकारी लगातार ऐसे लोगों की निगरानी कर रहे हैं. हालांकि लॉकडाउन के तीसरे हफ्ते में चल रहे भारत में अपेक्षाकृत कम मामलों के बावजूद पूरा एहतियात बरता जा रहा है. क्योंकि चिकित्सा वैज्ञानिक अनुमानों के मुताबिक भारत में कोविड19 मामलों का चरम अप्रैल के अंतिम सप्ताह और मई के शुरुआत में आ सकता है.
इस बाबत एक राजनयिक के सवाल का जवाब देते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि किसी भी व्यापक बीमारी के संदर्भ में माना जाता है कि उसके फैलने की रफ्तार घटने में दो-चार हफ्ते का वक्त लगता है. लिहाजा लगातार अपने यहां तैयारियां मजबूत कर रहा है.
डॉ हर्षवर्धन के मुताबिक दुर्भाग्य से यदि हालात बिगड़ते हैं तो भी हमारी तैयारी खराब से खराब स्थिति से निपटने के लिए है. इस कड़ी में पूरे देश के भीतर 500 से ज्यादा डेडिकेटेड कोविड अस्पताल निर्धारित किए गए हैं. इनमें 2 लाख से ज्यादा बेड की व्यवस्था की गई है. साथ ही 50 हजार आईसीयू बेड और वेंटिलेटर का भी इंतजाम किया जा रहा है.
इतना ही नहीं भविष्य में कोई कमी न हो इसके लिए भी ऑर्डर भी दिए गए हैं. महत्वपूर्ण है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने करीब 49 हजार वैंटिलेटर की खरीद के ऑर्डर भी दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार भारत अभी भी स्टेज-2 में ही हैं. सारे प्रयास किए जा रहे हैं कि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति में भारत न जाए.
इस बीच कोविड19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में हॉटस्पॉट इलाकों और कोविड मरीजों वाले क्लस्टर में अधिक एंटीबॉडी टेस्ट की भी तैयारी हो चुकी है. रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की किट आते ही इसका काम शुरू हो जाएगा.
हालांकि भारत के लिए फिलहाल सुकून की बात है कि गंभीर श्वसन बीमारियों औऱ इंफ्लुएंजा पीड़ित समेत कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के दौरान अभी तक की गई टेस्टिंग में कोविड19 पॉजिटिव का आंकड़ा 3 फीसद के करीब ही है. यानी यह तादाद भी स्वास्थ्य प्रबंधन की सीमाओं के भीतर है.
गौरतलब है कि कोविड19 को नियंत्रित करने में भारत के शुरुआती कदम अब काफी कारगर साबित हो रहे हैं. भारत ने 17 जनवरी से ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की स्क्रीनिंग शुरु कर दी थी. वहीं 24 मार्च को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की आवाजाही बंद होने तक भारत में 30 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर 15000 उड़ानों से आए करीब 15 लाख लोगों को स्क्रीन किया गया.
इसके अलावा छोटे-बड़े बंदरगाहों पर भी 47 हजार लोगों की स्क्रीनिंग हुई. नेपाल में पहला केस सामने आने के बाद इस पड़ोसी मुल्क से लगी सीमा पर भी स्क्रीनिंग शुरु कर दी गई थी जिसके तहत दोनों देशों के बीच आए और गए 20 लाख लोगों को स्क्रीन किया गया .
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारत में उड़ाने बंद किए जाने से तीन दिन पहले यानि, 21,22 और 23 मार्च को 64 हजार भारतीय व विदेशी लोग देश में आए. इनमें से 56 हजार को घरों में क्वारंटीन रहने को कहा गया जबकि 8 हजार को इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन में रखा गया है.
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