Coronavirus: दिल्ली-गुजरात समेत कई राज्यों ने तीसरी लहर से निपटने के लिए कसी कमर, जानें कैसी हैं तैयारियां
दिल्ली में कुल 27 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों को चालू कर दिया गया है. इनके अलावा केंद्र सरकार द्वारा पहले ही छह संयंत्र शुरू किए जा चुके हैं और सात जल्द ही शुरू होने जा रहे हैं. जुलाई तक दिल्ली में 17 और ऑक्सीजन संयंत्र शुरू होंगे.गुजरात में ऑक्सीजन बेड और आईसीयू बेड को क्रमशः 61,000 और 15,000 से बढ़ाकर 1,10,000 और 30,000 करने की घोषणा की गई है. योजना में बाल चिकित्सा बिस्तरों को 2,000 से 4,000 तक बढ़ाया जाएगा.
नई दिल्ली: देश में जानलेवा कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर अभी भी जारी है. भले ही नए मामलों की संख्या में गिरावट देखी जा रही हो, लेकिन अभी भी देश में हर दिन हजारों लोगों की मौत हो रही है. दूसरी लहर के बाद अब देश के तमाम राज्य सतर्क हो गए हैं. दिल्ली, गुजरात और केरल समेत कई राज्यों ने संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए कमर कस ली है. जानिए इस राज्यों ने क्या-क्या तैयारियां की हैं.
दिल्ली
दिल्ली में कुल 27 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों को चालू कर दिया गया है. इनके अलावा केंद्र सरकार द्वारा पहले ही छह संयंत्र शुरू किए जा चुके हैं और सात जल्द ही शुरू होने जा रहे हैं. जुलाई तक दिल्ली में 17 और ऑक्सीजन संयंत्र शुरू होंगे. दिल्ली सरकार तीसरी लहर के मामले में कोरोना से निपटने के लिए ऑक्सीजन टैंकर भी खरीद रही है.
दिल्ली सरकार ने तीसरी लहर के एक्शन प्लान को ध्यान में रखते हुए दो अलग-अलग समितियों का गठन किया है. पहली कमेटी जिसका गठन किया गया है, इसमें 8 सदस्य होंगे. तीसरी लहर से निपटने के लिए 13 अधिकारियों की एक और कमेटी बनाई गई है. ये कमेटी दिल्ली में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और तीसरी लहर से निपटने के लिए एक्शन प्लान तैयार करेगी.
गुजरात
सीएम विजय रुपानी ने कोरोना की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए एक कार्य योजना की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अक्टूबर या नवंबर के आसपास राज्य में तीसरी लहर आने की संभावना है. राज्य में ऑक्सीजन बेड और आईसीयू बेड को क्रमशः 61,000 और 15,000 से बढ़ाकर 1,10,000 और 30,000 करने की घोषणा की गई है. साथ ही योजना में बाल-सुलभ वार्डों के निर्माण के साथ सरकारी अस्पतालों में बाल चिकित्सा बिस्तरों को 2,000 से 4,000 तक दोगुना करना शामिल है. सरकार चिकित्सा सुविधाओं में सभी रिक्तियों को भरने और परीक्षण को बढ़ावा देने की योजना भी बना रही है.
केरल
राज्य टीकाकरण कवरेज बढ़ाने और बाल चिकित्सा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा, "बच्चों के इलाज और छुट्टी के संबंध में दिशानिर्देश पहले ही तैयार किए जा चुके हैं." एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि तीसरी लहर से पहले ज्यादा ये ज्यादा लोगों के लिए कवरेज सुनिश्चित करने के लिए प्रतिदिन दी जाने वाली टीकों की खुराक की संख्या को बढ़ाकर 2-2.5 लाख किया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों के इलाज की सुविधा बढ़ाने का फैसला लिया है.
तेलंगाना
राज्य सरकार ने राज्य के सभी बाल चिकित्सा अस्पतालों में बुनियादी ढांचे में सुधार करना शुरू कर दिया है और हैदराबाद में महिलाओं और बच्चों के लिए अस्पतालों में अतिरिक्त सुविधाएं स्थापित कर रही है. साथ ही सरकारी अस्पतालों में सभी मौजूदा बिस्तरों को ऑक्सीजन बिस्तरों में बदलने का भी फैसला किया गया है. राज्य में 4000 ऑक्सीजन/आईसीयू बेड विशेष रूप से बाल चिकित्सा मामलों के लिए उपलब्ध होंगे.
जम्मू कश्मीर
राज्य में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग से कोरोना के वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन को लेकर सिफारिशों के लिए विषाणु विज्ञान, महामारी विज्ञान और सूक्ष्म जीव विज्ञान के विशेषज्ञों की एक चिकित्सा परामर्श टीम गठित करने को कहा गया था. मुख्य सचिव ने विभाग से अलग-अलग आबादी के स्तर पर सीरो सर्वेक्षण भी कराने को कहा है. राज्य में बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है.
तीसरी लहर में बच्चों के गंभीर रूप से प्रभावित होने के प्रमाण नहीं
चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र की प्रतिष्ठित पत्रिका लैनसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बात के अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि कोरोना महामारी की तीसरी संभावित लहर में बच्चों के गंभीर रूप से संक्रमित होने की आशंका है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों में उसी प्रकार के लक्षण पाए गए हैं, जैसा कि दुनिया के अन्य देशों में देखने को मिले हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना से संक्रमित होने वाले अधिकतर बच्चों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते. कई बच्चों में संक्रमण के हल्के लक्षण देखने को भी मिले हैं. वायरस से संक्रमित होने के बाद अधिकतर बच्चों में बुखार और श्वास संबंधी परेशानियां जैसे लक्षण भी देखने को मिले हैं. वयस्कों की तुलना में बच्चों में हैजा, उल्टी और पेट में दर्द संबंधी अन्य जठरांत्र संबंधी लक्षण देखने को मिले हैं. किशोरावस्था की उम्र के आस-पास के बच्चों में बीमारी के लक्षण आने की आशंका भी प्रबल हो जाती है.
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