Coronavirus: देश में कोविड के बिगड़ते हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने आज स्वतः संज्ञान लिया. कोर्ट ने मसले पर एक स्पष्ट राष्ट्रीय योजना की ज़रूरत बताई है. मामले को कल सुनवाई के लिए लगाते हुए कोर्ट ने 4 बिंदुओं पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही अपनी सहायता के लिए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने जिन 4 बिंदुओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया है, वह हैं-
- ऑक्सीजन की आपूर्ति
- आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति
- वैक्सिनेशन का तरीका किस तरह का हो
राज्य में लॉकडाउन का फैसला कौन ले?
चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस एल नागेश्वर राव और एस रविंद्र भाट की बेंच ने माना है कि इस समय अलग-अलग हाई कोर्ट के आदेशों से एक भ्रम की स्थिति बन रही है. इस लिए कुछ ज़रूरी बिंदुओं पर साझा सुनवाई ज़रूरी है. बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस बोबड़े ने कहा- "इस समय 6 हाई कोर्ट दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, एमपी, कलकत्ता और इलाहाबाद इस मसले पर सुनवाई कर रहे हैं. हर हाई कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले नागरिकों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति पर आदेश दे रहा है. हालांकि, ऐसा करने के पीछे उद्देश्य लोगों के जीवन की रक्षा है, लेकिन इससे राष्ट्रीय स्तर पर भ्रम की स्थिति बन रही है."
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक नहीं लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार वहां भी जवाब दे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज स्पष्ट संकेत दिए कि वह हाई कोर्ट में चल रहे मामलों के कुछ अहम बिंदुओं को अपने पास ट्रांसफर कर लेगा.
वेदांता ने ऑक्सीजन सप्लाई की अनुमति मांगी
आज सुनवाई के दौरान तमिलनाडु के तूतीकोरिन में बंद कर दिए गए स्टरलाइट कॉपर प्लांट ने भी पक्ष रखा. इस प्लांट को पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के चलते बंद किया गया था. प्लांट पर स्वामित्व रखने वाली कंपनी वेदांता ने कहा कि वह अपने कॉपर प्लांट को खोलने की मांग नहीं कर रही है. उसने सिर्फ ऑक्सीजन प्लांंट को खोलने की अनुमति मांगी है ताकि मौजूदा संकट केेे दौर में देश की सहायता की जा सके. लेकिन तमिलनाडु सरकार इसकी अनुमति नहीं दे रही है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की मंशा को सही बताते हुए तमिलनाडु सरकार से कल तक इस पर स्पष्ट जवाब देने को कहा.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने वर्तमान स्थिति को नेशनल इमरजेंसी कहा. तमिलनाडु के तूतीकोरिन में बंद पड़ा स्टरलाइट का ऑक्सीजन प्लांट दोबारा खोलने का विरोध कर रहे राज्य के वकील को फटकारते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, "आप अपने यहां ऑक्सीजन उत्पादन नहीं करना चाहते लेकिन अपनी मेडिकल ज़रूरतों के लिए आपको ऑक्सीजन चाहिए. यह एक राष्ट्रीय आपात स्थिति है. प्लांट के खुलने से पर्यावरण को नुकसान की आपकी चिंता का समाधान किया जा सकता है. आपका इस तरह से बाधा पैदा करने का रवैया गलत है."
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