नई दिल्ली: कोरोना के मामले लगातार देश में बढ़ती जा रहे हैं. वहीं अब तक इस बीमारी का कोई इलाज सामने नहीं आया है. ऐसे में डॉक्टर कई दवाइयां और इलाज के तरीके इससे संक्रमित व्यक्ति को ठीक करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे ही एक तरीका है प्लाज्मा थेरेपी. जिसमें इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति जो अब ठीक हो चुका है उसके शरीर से प्लाज्मा निकालकर संक्रमित मरीज के शरीर में डाला जाता है. इसे थेरेपी का इस्तेमाल दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में कोरोना से संक्रमित दो मरीजों पर किया है. जिसमें से एक मरीज में सुधार दिखने लगा है.
आईसीएमआर और डीजीसीआई के गाइडलाइन के मुताबिक है प्लाज्मा थेरेपी
मैक्स हॉस्पिटल के मुताबिक यह थेरेपी कोई नई नहीं है और इसका इस्तेमाल पहले भी अलग-अलग बीमारियों के लिए किया गया है. जब परिवार को पता चला कि अमेरिका में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए तो उन्होंने अस्पताल से सही करने की दरखवास्त की. जिसके बाद अस्पताल ने लाइव सेविंग प्रोटोकॉल के तहत और ऑफ लेवल इंडिकेशन के तहत मरीज को प्लाज्मा थेरेपी देने का फैसला किया. वहीं प्लाज्मा थेरेपी बकायदा आईसीएमआर और डीजीसीआई के गाइडलाइन के मुताबिक है.
मैक्स हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा "इस मामले में हमने life-saving प्रोटोकॉल के तहत इसका इस्तेमाल किया है जिसको हम ऑफ लेवल इंडिकेशन कहते हैं. अगर कोई ऐसी दवा है जिसका दुनिया में इस्तेमाल किया गया हो और बाहर के देश में उसका रेगुलेटरी अप्रूवल मिला हुआ है जैसे प्लाज्मा का यूएसए में अप्रूवल मिला हुआ है और यह जानकारी अगर परिवार को है और वहां आकर हमें गुजारिश करें कि अपने मरीज को यह थेरेपी देना चाहते हैं क्योंकि इसका इस्तेमाल इन देशों में हुआ है और उसका फायदा हुआ है हम इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं. इसके रिस्क और इसके बेनिफिट को हम समझते हैं. तो जब मरीज के परिवार की तरफ से इस तरह की रिक्वेस्ट आती है तो इसको ऑफ लेवल कंपैशनेट ग्राउंड पर कंसीडर करते हैं उसका एक अपना अप्रूवल प्रोसेस होता है. उसकी एथिक्स कमेटी होती है अस्पताल की उसके अप्रूवल लिए जाते हैं उसके बाद ही यह ट्रीटमेंट दिया जा सकता है. उस तौर पर हमने उस मरीज को यह थैरेपी दी है."
वहीं संक्रमित मरीज के परिवार ने ही प्लाज्मा के लिए डोनर की तलाश की. डोनर 3 हफ्ते पहले इस संक्रमण से ठीक हुआ है. इसके बाद डॉलर के शरीर से प्लाज्मा निकालकर संक्रमित मरीज को दिया गया.
डोनर खुद मरीज के परिवार ने अरेंज किया
मैक्स हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा के मुताबिक "इस केस में जो डोनर था वह भी खुद मरीज के परिवार ने अरेंज किया था. एक महिला थी जिसे को रोना पॉजिटिव हुआ था और 3 हफ्ते पहले वह बिल्कुल स्वस्थ हो चुकी थी. और वह डोनेट करने के लिए तैयार हो गई. इसके बाद हमने उनसे 400ml प्लाज्मा लिया एक मशीन में अलग किया जाता है प्रोटोकॉल आईसीएमआर ने तय किया है वैसे ही. और इसके बाद हमने दो से मिल पेशेंट पर चढ़ा है. उस मरीज से जो प्लाज्मा मिला था वह हमने 2 मरीजों को दिया एक की मृत्यु हो गई क्योंकि वह काफी उम्रदराज थी , दूसरे पेशेंट में इस थैरेपी के अलावा भी इलाज चल रहा है और वह अभी काफी स्टेबल है और उम्मीद है कि वह ठीक होंगे."
खास बात ये है की दो मरीजों को ये प्लास्मा थेरपी दी गई लेकिन एक मरीज की मौत हो गई. डॉक्टरों के मुताबिक दूसरे मरीज की उम्र काफी ज्यादा थी और हालात भी खराब थी.
क्या होती है प्लाज्मा थेरेपी ?
दरअसल संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है और 3 हफ्ते बाद उसे प्लाज्मा के रूप में किसी संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है ताकि उसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगे. प्लाज्मा संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति खून से अलग कर निकाला जाता है. एक बार में एक संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर से 400ml प्लाज्मा निकाला जा सकता है. इस 400ml प्लाज्मा को दो संक्रमित मरीजों को दिया जा सकता है.
स्वस्थ हो चुके मरीज के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है जो उस वायरस से लड़ने के लिए होती है. एंटीबॉडी ऐसे प्रोटीन होते हैं जो इस वायरस को डिस्ट्रॉय या खत्म कर सकते हैं. तो वो एंटीबॉडी अगर प्लाज्मा के जरिए किसी मरीज को चढ़ाएं तो वह एंटीबॉडी अभी जो मरीज है जो उसके शरीर में मौजूद वायरस को मार सकती है. प्लाज्मा थेरेपी कोई नई थेरेपी नहीं है. डॉक्टरों का मानना है की ये एक प्रॉमिनेंट थेरपी है जिसका फायदा भी हुआ और कई वायरल संक्रमण में इसका इस्तेमाल भी हुआ है.
मैक्स हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा ने बताया की "पेशंट काफी बीमार है गंभीर रूप से बीमार है और जैसा हम जानते हैं कि कोरोनावायरस तक कोई दवा नहीं है ना इलाज तो काफी थेरेपी ट्राई की जा रही है जिसमें से प्लाज्मा थेरेपी एक प्रॉमिनेंट थेरेपी है जिसका फायदा यह है यह पहले भी काफी बार इस्तेमाल की गई है और ऐसा नहीं है कि पहली बार इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. पहले भी तो वायरल संक्रमण हुए हैं इस थेरेपी का इस्तेमाल किया गया है सर्च के टाइम जब कुछ देशों में एपिडेमिक आउटब्रेक हुआ था तब भी इसका इस्तेमाल हुआ था. 1918 में जब स्पेनिश ब्लू हुआ था और इतिहास में आप जाकर देखेंगे तो भी इसका इस्तेमाल किया गया था.''
अमेरिका में इस तकनीक का इस्तेमाल कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं प्लाज्मा लेकर इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च और डीसीजीआई ने भी गाइडलाइन जारी की है. वहीं बुधवार को दिल्ली के उपराज्यपाल ने रिव्यू बैठक ने इस थेरपी के गाइडलाइन के मुताबिक इस्तेमाल का फैसला किया था. वहीं डॉक्टरों का मानना है की जबतक दावा या वैक्सीन नहीं मिल जाती है इस थेरपी के जरिए लोगों का इलाज किया जा सकता है और उनकी जान बचाई जा सकती है.
दिल्ली: जगह जगह घूम कर कोरोना वॉरियर्स को पानी पिला रहे हैं वाटर मैन महंत गंगानाथ
बागपत: कोविड-19 के सैंपल लेकर जा रहे चीता हेलिकॉप्टर की ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर इमरजेंसी लैंडिंग