नई दिल्लीः दिल्ली में बहुत से लोगों को कोविड -19 टेस्ट कराने में कई समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है. कोविड -19 मामलों की बढ़ती संख्या के बीच आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए स्लॉट बुक करने और सीआरपी, डी-डिमर ब्लड सैंपल की बुकिंग से लेकर रिपोर्ट प्राप्त करना काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. कई सरकारी और प्राइवेट टेस्टिंग सेंटर्स का कहना है कि कहा कि मैनपावर की कमी और टेस्ट की संख्या में भारी उछाल के कारण सैंपल्स के लॉस्ट हो जाने की घटनाओं से टेस्ट रिजल्ट्स का लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है. दिल्ली हाइकोर्ट ने 22 अप्रैल को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि टेस्ट रिपोर्ट 48 घंटों के भीतर डिलीवर की जाए.
 
लैब्स में ट्रेंड मैनपावर की हुई भारी कमी
कई प्राइवेट लैब्स का कहना कि उसके स्टाफ के कई सदस्य वायरस से संक्रमित हैं और कई दूसरे सदस्य काम नहीं कर रहे हैं. इससे आरटी-पीसीआर टेस्ट करने वाली लैब्स में प्रशिक्षित मैनपावर की भारी कमी हो गई है.  दिल्ली की सबसे बड़ी लैब्स में शामिल लैब के ओनर के मुताबिक  “मैनपावर की भारी कमी है. मेरे तकनीशियनों को एक संदिग्ध रोगी के मुंह के अंदर देखना और सैंपल कलेक्ट करना होता है, इंसेंटिव क्या है? उनका भी परिवार हैं. ” 


मैनपावर की कमी से कई लैब्स ने घर से सैंपल कलेक्ट करना किया बंद
शहर के लैब टेक्नोलॉजिस्टों ने दोहराया कि मैनपावर की कमी ने अधिकांश लैब्स घर से सैंपल कलेक्ट बंद करने के लिए मजबूर हैं और रिपोर्ट देने में भी देरी हो रही है. एक लैब के मालिक के अनुसार, “सरकार के आरटी-पीसीआर टेस्ट की कीमतों को कम करने से लैब्स के लिए नई मशीनें खरीदना और लोगों को टेस्ट करने के लिए काम पर रखना एक चुनौती है. जब महामारी खत्म हो जाएगी तो इन मशीनों के कम काम आने की संभावना है. ”
 
संक्रमण को कंट्रोल करने के लिए जल्द पता लगाना जरूरी
लैब्स अपनी स्वयं की समस्याओं से जूझ रही हैं और डॉक्टरों का कहना है कि संक्रमण का जल्द पता लगाना लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है. कई मामलों में देखा गया है कि हल्के लक्षणों वाले केस भी देरी के कारण गंभीर केस बन जाते हैं. 


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