नई दिल्ली: मानवाधिकार एक्टिविस्ट और वरिष्ठ वकील आभा सिंह ने संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल को याचिका लिखकर चीन के खिलाफ कार्रवाई और विश्व स्वास्थ्य संगठन के खिलाफ जांच कराए जाने की मांग की है.वकील आभा सिंह ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटानियो गुटेरेस को भेजे याचिका पत्र में कहा है कि कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में भारी तबाही मचाई है. दुनिया भर के लोगो के अच्छे स्वास्थ्य के अधिकार का चीन ने हनन किया है. कोरोना से पहले चीन ने सार्स, बर्ड फ्लू जैसी बीमारी भी दुनिया को दिया है. यह बताता है कि चीन वर्ल्ड हेल्थ गाइडलाइंस को नहीं मानता.


आभा सिंह ने कहा कि चीन ने यह महामारी दुनिया से छिपाई और तो और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी चीन पर जवाबदेही नहीं तय की. WHO की चीन से साठगांठ के कारण कोरोना के खतरे से बहुत देर बाद विश्व  समुदाय को आगाह किया गया और इस वायरस को दुनिया भर में महामारी घोषित किया गया.


संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध किया गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीन से साठगांठ साफ नजर आ रही है. ताईवान ने पिछले साल दिसंबर में ही कोविड–19 के खतरे से आगाह कर दिया है. लेकिन संगठन ने जानबूझकर इसे महामारी घोषित करने में देरी की. डब्ल्यूएचओ ने 11 मार्च को कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया‚लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. डब्ल्यूएचओ के खिलाफ भी जांच की जाए.


संयुक्त राष्ट्र को लिखे अपने पत्र में आभा सिंह ने जिक्र किया, "कोविड–19 महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है. इस वजह से संयुक्त राष्ट्र आम सभा में इस मसले पर तत्काल प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए. चीन दुनिया के 200 से अधिक देशों को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई करे."


आभा सिंह ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर मांग की है कि भारत संयुक्त राष्ट्र के जनरल असेंबली में चीन के खिलाफ प्रस्ताव लाए, दुनिया के सभी देशों को चीन के खिलाफ एक मंच पर लाए और विश्व स्वास्थ्य संगठन पर भी जांच कराने के लिए दबाव डालें.


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