नई दिल्ली: कोरोना बीमारी फैला कर भारतीय अर्थव्यवस्था का नुकसान करने के लिए भारत को चीन से 500 बिलियन डॉलर का हर्जाना वसूलना चाहिए. इसके लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) जाना चाहिए. यह सुझाव अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक मामलों के जानकार वकील सूरत सिंह ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी भेजकर दिया है.


पीएम को भेजी गई चिट्ठी में सूरत सिंह ने लिखा है, “चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के तरफ से संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के लिए तय ‘स्वास्थ्य नियम 2005’ के खिलाफ काम किया है. 16 दिसंबर 2019 को चीन में कोरोना का पहला मामला सामने आया. 2 जनवरी 2020 को वायरस की जीनोम मैपिंग की गई. 14 जनवरी को इस बात की पुष्टि हो गई कि यह बीमारी संक्रामक है. मनुष्य से मनुष्य को फैलती है. इसके बावजूद चीन ने पूरी दुनिया से इस जानकारी को छुपाया. 18 जनवरी को वहां पर चीनी नववर्ष हमेशा की तरह धूमधाम से मनाया गया. 23 जनवरी तक चीन में आने या चीन से जाने को लेकर किसी तरह का की यात्रा पाबंदी भी नहीं लगाई गई.“


चिट्ठी में आगे लिखा गया है, “इस पूरी अवधि के दौरान सीन WHO और बाकी दुनिया से बीमारी की जानकारी को छुपाता रहा. उसने शुरू में WHO से कहा कि यह बीमारी साधारण न्यूमोनिया है. इस तरह चीन में एक तरह की आपराधिक लापरवाही बरती है. इसके चलते पूरी दुनिया में यह बीमारी फैल गई.''



वकील ने आगे लिखा है कि अब यह बीमारी भारत में भी आ चुकी है. गंभीर रूप से फैलती जा रही है. देश को लॉक डाउन करना पड़ा है. इस दौरान लोगों को समस्या न आए, इसलिए सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया है. इस बीमारी के चलते आगे और नुकसान पहुंचने का अंदेशा है. आर्थिक जानकारों ने अनुमान लगाया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को 20 फ़ीसदी तक का नुकसान हो सकता है. इसलिए, अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने वाले चीन के खिलाफ भारत को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस जाना चाहिए. चीन से 500 बिलीयन डॉलर का हर्जाना वसूला जाना चाहिए.


चिट्ठी में बताया गया है कि नीदरलैंड के हेग में स्थित इंटरनेशनल कोर्ट में भी फिलहाल कोरोना के चलते कामकाज बंद है. वहां से जारी सर्क्युलर के मुताबिक 16 अप्रैल से उसके फिर से खुलने की उम्मीद है. ऐसे में भारत सरकार को अपनी याचिका तैयार करनी शुरू कर देनी चाहिए और कोर्ट के खुलते ही वहां चीन के खिलाफ दावा पेश कर देना चाहिए.


वैसे तो यह सच है कि इस बीमारी के चलते सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों को नुकसान हुआ है. बीमारी को छिपाकर उसे फैलने देने में चीन की भूमिका भी गलत नजर आ रही है. लेकिन चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मद्देनजर इस बारे में फैसला भारत सरकार को ही लेना होगा कि क्या वह वाकई इस चिट्ठी में सुझाई गई बात के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई के लिए चीन के ऊपर कोई दावा ठोकना चाहेगी.


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