Coronavirus Lockdown: कोरोना का 'लाइव वायर' है दिल्ली से मजदूरों का पलायन!
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन की घोषणा करते वक़्त हाथ जोड़कर प्रवासी मजदूरों से विनती की थी कि वे दिल्ली छोड़कर न जाएं, लेकिन इसका जरा भी असर नहीं हुआ. मतलब साफ है कि मजदूरों को न सरकार पर भरोसा है और न ही सिस्टम पर.
नई दिल्ली: दिल्ली में लॉकडाउन लगते ही खौफजदा प्रवासी मजदूरों ने हजारों की संख्या में पलायन शुरू कर दिया है. रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों के बाहर मंगलवार को भी भारी भीड़ है और हर कोई किसी भी तरह से अपने घर की तरफ लौटना चाहता है. डॉक्टरों के मुताबिक ये हालात संक्रमण की चेन तोड़ने की बजाय उसे और ज्यादा फैलाने में मददगार बनेंगे और इसका असर दिल्ली के साथ ही उन राज्यों पर भी होगा जहां ये जा रहे हैं.
हालांकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन की घोषणा करते वक़्त हाथ जोड़कर प्रवासी मजदूरों से विनती की थी कि वे दिल्ली छोड़कर न जाएं, लेकिन इसका जरा भी असर नहीं हुआ. मतलब साफ है कि मजदूरों को न सरकार पर भरोसा है और न ही सिस्टम पर. ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार पिछले एक साल में ऐसे इंतज़ाम क्यों नहीं कर पाई जो मजदूरों में यह भरोसा पैदा कर पाते कि दोबारा लॉकडाउन लगने पर उन्हें दो जून की रोटी का जुगाड़ करने के लिए भटकना नहीं पड़ना पड़ेगा.
वैसे पिछले साल की तुलना में यह लॉकडाउन छोटा है, लेकिन मजदूरों में यह डर बैठ गया है कि हालात खराब होने पर सरकार इसे और लंबा खींचेगी और तब उन्हें अपने घरों को लौटने के लिए न ट्रेन-बसें मिलेंगी और न ही कोई और साधन. उनकी इस चिंता को गलत नहीं ठहराया जा सकता. दिहाड़ी मजदूरों के अलावा दिल्ली की फैक्ट्रियों व अन्य बड़े मार्केट में हजारों प्रवासी मजदूर काम करते हैं और लॉकडाउन की मियाद बढ़ने पर उन्हें पूरा वेतन मिलने का कोई भरोसा नहीं है. यही कारण है कि सोमवार की शाम से ही दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन व बस अड्डे पर मजदूरों की भारी भीड़ का रेला उमड़ पड़ा.
बिहार व यूपी की तरफ जाने वाली ट्रेनों के अलावा करीब 35 सौ बसों में 25 हजार से भी ज्यादा मजदूर परिवार अपने घरों की तरफ रवाना हो गए. देर रात से ही आनंद विहार से कौशाम्बी बस अड्डे तक बसों का लंबा जाम लग गया और मंगलवार को भी यही हाल था. बसें लोगों से ठसाठस भरकर जा रही हैं, ऐसी हालत में सामाजिक दूरी रखना तो दूर की बात है, लोगों ने मास्क तक नहीं लगा रखे हैं. भीड़ का आलम यह है कि लोग बसों की छत पर बैठे हैं या दरवाजों पर लटके हुए हैं.
एम्स में कोरोना महामारी के विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक "मजदूरों के इस पलायन को आप कोरोना संक्रमण का 'लाइव वायर' कह सकते हैं, क्योंकि इनमें से किसी को भी यह नहीं पता कि कौन-कौन संक्रमित है. अकेला एक संक्रमित ही अब दसियों में यह वायरस फैला रहा है, तो समझ सकते हैं कि आने वाले दिनों में हालात और कितने खराब हो सकते हैं." पलायन रोकने के सरकारी प्रयासों को नाकाफी बताते हुए वे कहते हैं कि "सरकार को पहली लहर के मुकाबले इस बार ज्यादा सतर्क रहना चाहिए था और लॉकडाउन लगाने से दो-चार दिन पहले ही इन मजदूरों के लिए कुछ ऐसी घोषणाएं करनी चाहिये थीं, ताकि दिल्ली छोड़ने का विचार उनके मन में ही नहीं आता. कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा तेजी से संक्रमण फैला रही है, इसलिए हमें लगता है कि यह पलायन कोरोना के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है."