नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर दुनिया भर में फैली दहशत के बीच रोहित दत्ता की की कहानी ससे सफलतापूर्वक निपटने का हौंसला देती है. 45 साल के रोहित दत्ता देश के हजारों अन्य लोगों की तरह कोरोना वायरस की चपेट में आए. वह दिल्ली में सबसे पहले इस वायरस की गिरफ्त में आए, लेकिन उन्होंने परेशान होने या छिपने की बजाय तत्काल अपनी जांच कराई और संक्रमण का पता चलने पर संयम खोए बिना पूरे धैर्य से अपना इलाज कराया.


रोहित बताते हैं कि फरवरी के दूसरे पखवाड़े में वह अपने काम के सिलसिले में इटली गए थे और वहां से बुडापेस्ट और वियना होते हुए 25 फरवरी को भारत लौटे थे. यहां आने के बाद 28 फरवरी को उन्हें हल्का बुखार आया और उन्होंने अपनी पत्नी की सलाह पर अगले दिन ही डॉक्टर से सलाह ली.


दो मार्च को पाए गए संक्रमित


उन्होंने बताया कि डॉक्टर ने उनके विदेश भ्रमण की बात सुनकर तत्काल उनका परीक्षण कराया. दो मार्च को उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित करार दिया गया. वह मानते हैं कि बीमारी से पीड़ित होने की बात सुनकर एक बार तो उन्हें धक्का लगा, लेकिन फिर डॉक्टरों ने समय पर बीमारी के पकड़ में आने के कारण उनके जल्द ठीक होने की उम्मीद जताई. साथ ही डरने या परेशान होने की बजाय रचनात्मक गतिविधियों में खुद को व्यस्त रखने का आग्रह किया.


मुश्किल समय में मेडिटेशन का लिया सहारा


बीमारी के समय की अपनी गतिविधियों की जानकारी देते हुए रोहित बताते हैं कि अस्पताल में भर्ती होना हमेशा से डर और असुरक्षा को जन्म देता है, लेकिन उन्होंने मेडिटेशन के सहारे इस मुश्किल घड़ी से खुद को निकाला. मेडिटेशन को पैनिक हीलर बताने वाले रोहित का कहना है कि वह मेडिटेशन करने में माहिर नहीं थे, फिर भी इसके अभ्यास से वह अवसाद से बचे रहे.


इसके अलावा उन्होंने संगीत सुनकर और जल्द ठीक होने की उम्मीद के साथ अपना वक्त गुजारा. साथ ही 14 दिन के इलाज और 14 दिन क्वॉरंटाइन सेंटर में रहने के बाद वह एकदम ठीक हो गए.


परिवार वालों से रखा खुद को दूर


रोहित बताते हैं कि अपनी और अपने आसपास के लोगों की सुरक्षा के लिए उन्होंने खुद को घर के एक कमरे में सीमित कर लिया. यहां तक कि अपनी मां और अपने बच्चों से वह कम से कम दो मीटर का फासला बनाए रहे. साथ ही उनके कपड़ों, बर्तन और अन्य सामान को सावधानी से साफ किया गया. उनके आसपास के वातावरण को भी हमेशा स्वच्छ रखा गया.


जल्द पकड़ में आने पर इस बीमारी को सामान्य फ्लू जैसा बताते हुए रोहित कहते हैं कि सरकार की ओर से निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करने और सावधानी बरतने के बावजूद अगर कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण दिखाई दें तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि ‘‘आप जितनी जल्दी डॉक्टर के पास जाएंगे उतनी जल्दी ठीक होकर अपने घर वापस लौट सकेंगे.’’


निगेटिव सोच ना रखें


बीमारी से उबरने के बाद खुद को ज्यादा आध्यात्मिक और सकारात्मक महसूस कर रहे रोहित सभी को यही सलाह देते हैं कि कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाए जाने पर आप भी ‘पॉजिटिव’ बने रहें. अपना धैर्य ना खोएं और निराशा तथा नकारात्मकता को अपने नजदीक ना भटकने दें.


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