मुंबई: समुद्र तट की सफाई के दौरान मिल रहे कोरोना 'मास्क', बढ़ी पर्यारवरण प्रेमियों की चिंता
मुंबई के समुद्री तट को सफ करने में एक बड़ी क्रांति लाने वाले पर्यावरण प्रेमी मल्हार कलम्बे का कहना है कि पहले पर्यावरण के संरक्षण के लिए सबसे बड़ी समस्या सिंगल यूज़ प्लास्टिक रहा है, लेकिन अब मास्क एक चिंता का विषय है.
मुंबई: लॉकडाउन के करीब पांच महीने बाद अब 'बीच प्लीज़' (Beach Please) नाम का एक ग्रुप अपने सफाई अभियान के काम मे जुट गया है. हर शनिवार और रविवार बीच प्लीज़ ग्रुप मुंबई में कई समुद्र तट पर मौजूद कई टन कूड़ा साफ कर रहा है, जिसमें सबसे ज़्यादा 95 प्रतिशत सिंगल यूज प्लास्टिक पाया जा रहा है. सिंगल यूज प्लास्टिक हमेशा से ही चिंता का विषय रहा है, जिसे लेकर न जाने कितने जनजागृति अभियान चलाए गए हैं. लेकिन अब कोरोना काल में पर्यावरण के लिए एक और चीज़ समस्या बन कर उभरी है और वो है कोरोना से बचने के लिए चेहरे पर लगाया जाने वाला फेस मास्क. समुद्री तट साफ करते समय अब वॉलंटियर को प्लास्टिक ही नहीं, बल्कि फेस मास्क भी मिल रहे हैं.
मुंबई के समुद्री तट को सफ करने में एक बड़ी क्रांति लाने वाले पर्यावरण प्रेमी मल्हार कलम्बे का कहना है कि पहले पर्यावरण के संरक्षण के लिए सबसे बड़ी समस्या सिंगल यूज़ प्लास्टिक रहा है, लेकिन अब मास्क एक चिंता का विषय है. अब समुद्र से कचरा उठाते समय हमें रेत के अंदर मास्क भी मिल रहे हैं. लोग मास्क इस्तेमाल कर यूं ही कचरे या नदी नाले में फेंक रहे हैं. बिना सोचे समझे कि इससे बीमारी फैल सकती है. यूज़ किये गए मास्क से दूसरे बीमार हो सकते हैं.
मल्हार का कहना है कि इस तरह से खुले में मास्क फेंकना खतरनाक है. मास्क मेडिकल यूज़ के लिए उपयोग किया जाता है, जिसे नष्ट करने की एक खास प्रक्रिया होती है, लेकिन आज कोरोना से ख़ुद को बचाने के लिए मास्क का उपयोग हर कोई कर रहा है, लेकिन इस तरह से उसे खुले में मास्क को डाल कर लोग दूसरों को बीमार होने के लिए छोड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से कोरोना महामारी फैल रही है. आने वाले समय में मास्क की मांग या उपयोग बढ़ेगा. लोगों को इसके उपयोग को लेकर जागरूक करना ज़रूरी है. वरना पर्यावरण को नुकसान तो होगा और लोग भी बीमार पड़ेंगे. सरकार को इसके बारे में सोचने की ज़रूरत है.
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