नई दिल्ली: भारत और रूस ने अपनी विशिष्ट रणनीतिक साझेदारी में अब 2+2 वार्ता यानी रक्षा और विदेश मंत्रालयों के बीच संयुक्त बातचीत का अध्याय भी जोड़ने का फैसला किया है. यह निर्णय बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच चर्चा के बाद लिया गया. राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी के साथ फोनकॉल में रूस की तरफ से कोविड19 संकट से लड़ाई में भारत को हर संभव सहायता देना का भरोसा दिया.
इस बातचीत के बाद रूसी राष्ट्रपति कार्यालत की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि रूस के एमरजेंसी सिचुएशन मंत्रालय की तरफ से 22 टन सहायता सामग्री भारत के लिए रवाना कर दी गई है. इसमें 20 ऑक्सीजन जनरेटर यूनिट, 75 आर्टिफिशयल लंग वैंटिलेटर, 150 मेडिकल मॉनिटर तथा दो लाख जरूरी दवाओं के पैकेज शामिल हैं.
भारत और रूस के नेताओं की इस वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया कि कोरोना के इस मौजूदा संकट में रूसी प्रयास भारत के साथ हैं. वहीं पीएम मोदी ने भी कहा कि रूस की त्वरित सहायता दोनों देशों की गहरी दोस्ती की निशानी है. दोनों नेताओं के बीच स्पुतनिक वैक्सीन सहयोग पर भी बात हुई. ध्यान रहे कि रूस ने सर्वाधिक मात्रा में स्पुतनिक टीका उत्पादन के लिए भारतीय कंपनी के साथ करार किया है. रूसी सरकार के मुताबिक भारत में बनने वाले स्पुतनिक टीकों का इस्तेमाल दोनों देशों के साथ साथ तीसरे मुल्कों में भी किया जाएगा.
इस बीच दोनों देशों ने अपने रणनीतिक रिश्तों में एक और अहम कड़ी जोड़ते हुए 2+2 वार्ता शुरू करने का फैसला किया है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों नेताओं ने तय किया कि विदेश और रक्षा मंत्रियों के स्तर पर संयुक्त वार्ता की व्यवस्था स्थापित की जाएगी. महत्वपूर्ण है कि अभी तक भारत की 2+2 वार्ता व्यवस्था केवल अमेरिका और जापान के साथ ही है. किसी भी देश के साथ रणनीतिक सहयोग को अधिक प्रभावी बनाने में यह व्यवस्था काफी अहम भूमिका अदा करती है.
महत्वपूर्ण है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी और इससे उपजे रणनीतिक समीकरणों के लिहाज से भी भारत और रूस के बीच यह 2+2 वार्ता अहम होगी. इस बीच भारत और रूस ने हाइड्रोकार्बन के क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ाने का फैसला किया है.
फोन पर हुई बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने भारतीय गगनयान अभियान के तहत चांद पर भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण के लिए भी रूस का धन्यवाद दिया. साल 2022 में प्रक्षेपित किए जाने वाले गगनयान अभियान के लिए भारतीय वायुसेना के 4 अधिकारी रूस में अपना प्रशिक्षण चरण पूरा कर भारत लौट आए हैं. रूस में कोविड संकट के दौरान भी उनका प्रशिक्षण जारी रहा.