मुंबई: कोरोना महामारी के बढ़ते संकट को देखते हुए प्रधानमंत्री ने देश भर में 21 दिन के लॉकडाउन का एलान किया है. लॉकडाउन की स्तिथि समाज के मज़दूर वर्ग के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है. मुंबई में खाने पीने की कोई व्यवस्था ना होने के कारण दिहाड़ी मजदूर पैदल ही अपने घर की और प्रस्थान कर रहे हैं. कंधे पर पूरा समान लादे परिवार सहित वो कई किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं. इसमे कई बच्चे और बुज़ुर्ग भी हैं.


मुम्बई- अहमदाबाद हाईवे पर एबीपी न्यूज़ की मुलाकात ऐसे ही कुछ दिहाड़ी मजदूरों से हुई. जो महाराष्ट्र के बॉर्डर से सटे चारोड़ी गांव की और प्रस्थान कर रहे थे. सभी मज़दूर ईंट की भट्टे में दिहाड़ी मज़दूरी का काम करते हैं. चार परिवार के कुछ 20 से 25 लोग चारोड़ी गांव के लिए पैदल सफर कर रहे थे. जिसमें पांच से दस साल के बच्चे नंगे पैर कड़ी धूप मैं परिवार के साथ पैदल चल रहे थे.


मज़दूरों से बात करने पर हमें उन्होंने अपनी दर्द भरी कहानी बयां की. मजदूरों ने हमे बताया कि जिस भट्टे में वे सभी काम कर रहे थे वह अब लॉकडाउन के चलते बंद पड़ा है. ना हमारे पास खाने को पैसे है ना ही हमारे बच्चों को खिलाने के लिए राशन है. ऐसे में हम मजबूरन अपने घर की और जा रहे हैं क्योंकि इसके अलावा अब हमारे पास कोई चारा नहीं है.



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