(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोरोना वायरसः महामारी के संक्रमण के बीच मुंबई की हाऊसिंग सोसायटी अब रिहायशी इमारतों में बना रहीं है क्वारंटीन सेंटर.
कोरोना महामारी के बीच मुंबई के अस्पतालों में बेड की कमी हो रही है, वहीं अब यहां हाऊसिंग सोसायटी ने इमारत के भीतर ही अपने निवासियों के लिये आईसोलेशन सेंटर बनाया है. जिसमें 2 बेड लगाये गये हैं, ऑक्सीजन का सिलींडर है, पानी गर्म करने की मशीन लगी हुई है और अटैच्ड टॉयलेट है.
मुंबईः मुंबई में कोरोना के मामले इस हद तक बढ़ गये हैं कि लोगों को अस्पताल में बेड और क्वारंटीन सेंटर में जगह मिलने में दिक्क्तें आ रहीं है. अस्पताल या क्वारंटीन सेंटरों में अगर जगह मिल भी गई तो उनका बिल जेब में सुराख कर देता है. नौबत ये आ गई है कि मुंबई की कई हाऊसिंग सोसायटी अब अपने निवासियों के लिये रिहायशी इमारतों में ही क्वारंटीन सेंटर बना रहीं हैं.
कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है. मुंबई देश की कोरोना कैपिटल बनी हुई है और अब अनलॉक-1 शुरू होने के बाद लोग बाहर निकल रहे हैं, भीड़ भड़क्का नजर आ रहा है. जिससे मामले और बढने की आशंका जताई जा रही है. अस्पतालों और क्वारंटीन सेंटर्स में लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं. लेकिन इसका तरीका अब खुद नागरिकों ने निकाल लिया है.
जिम को आईसोलेशन सेंटर में बदला
मुंबई के पश्चिमी उपनगर कांदिवली की विश्वदीप हाइट्स हाऊसिंग सोसायटी शहर की पहली ऐसी हाऊसिंग सोसायटी है जिसने इमारत के भीतर ही अपने निवासियों के लिये आईसोलेशन सेंटर बनाया है. इमारत के जिम को एक आईसोलेशन सेंटर में बदल दिया गया है. वहां 2 बेड लगाये गये हैं, ऑक्सीजन का सिलींडर है, पानी गर्म करने की मशीन लगी हुई है और अटैच्ड टॉयलेट है. सेहत की जांच के लिये थर्मामीटर और शरीर में ऑक्सीजन नापने वाली मशीन भी रख दी गई है.
विश्वदीप हाइट्स कॉपरेटिव हाऊसिंग सोसायटी के सदस्य नीलेश व्यास के मुताबिक इस तरह के आईसोलेशन सेंटर बनाये जाने के कई सारे फायदे हैं. घर वाले मरीज की देखरेख कर सकते हैं.मरीज को घर का खाना मिल सकता है. साफ सफाई का ख्याल रखा जा सकता है और अस्पताल के महंगे बिल से बचा जा सकता है.
जरूरत पड़ने पर रिफयूज एरिया में बन सकता है आईसोलेशन सेंटर
अगर 2 से ज्यादा लोगों को क्वारंटीन करने की जरूरत पड़ जाती है तो जिम के बगल में ही रिफयूज एरिया है. हर ऊंची इमारत में रिफ्यूज एरिया कानूनन बनाया जाना जरूरी है ताकि आग लगने जैसे हादसों के वक्त लोग वहां जमा हो सकें और फायर ब्रिगेड की मदद से उन्हें निकाला जा सके. जरूरत पडने पर उन कमरों को भी क्वारंटीन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
हाऊसिंग सोसायटी में बनाये गये ऐसे क्वारंटीन सेंटर्स में उन लोगों को ऱखा जा सकता है जिन्हें कि कोरोना तो है लेकिन उसके लक्षण नहीं हैं या फिर बेहद कम लक्षण हैं. इनके जरिये लोग अस्पताल में होने वाली असुविधा और उनके भारी भरकम बिल से बच सकते हैं. घर वाले भी करीब रहेंगे और मरीज को घर का खाना भी मिल सकेगा. सबसे पहले इस तरह की सुविधा उत्तर मुंबई के सांसद गोपाल शेट्टी ने शुरू करवाई. अब उनके पास तमाम हाऊसिंग सोसायटियों ने पत्र भेजे हैं कि वे भी अपनी इमारतों में इस तरह के क्वारंटीन सेंटर खोलना चाहते हैं.
कोरोना के गंभीर लक्षण वाले होंगे अस्पतालों में भर्ती
मुंबई में कोरोना से प्रभावित लोगों को अस्पताल में बेड पाने की खातिर बेतहाशा संघर्ष करना पड रहा है. आंकडों के मुताबिक मुंबई के सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में 1094 आईसीयू बेड हैं और 464 वेंटिलेटर हैं. कोविड मेरीजों के लिये बनाये गये विशेष स्वास्थ्य केंद्रों में 9284 बेड हैं. मिली जानकारी के मुताबिक 12 फीसदी बेड पर ऐसे मरीज भर्ती हैं जिनकी हालत गंभीर नहीं है.
सरकार ने ऐसी गाईडलाइन जारी की है कि सिर्फ उन मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती किया जाये जिनमें कि कोरोना के गंभीर लक्षण नजर आ रहे हैं. मुंबई की हाऊसिंग सोसायटी ने जो प्रयोग शुरू किया है वो बिना लक्षण वाले या फिर कम लक्षण वाले मरीजों की देखरेख में काम आ सकता है. इस तरह के क्वारंटीन सेंटर्स के जरिये न केवल हेल्थकेयर सिस्टम पर से दबाव कम होगा बल्कि कोरोना के खिलाफं जंग में भी काफी राहत मिलेगी.
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