ब्रिटेन में सामने आया कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन पूर्व वर्जन के मुकाबले 'बहुत' ज्यादा तेजी से फैलनेवाला है. सनसनीखेज खुलासा इम्पीरियल कॉलेज लंदन के रिसर्च में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक नई किस्म रिप्रोडक्शन या आर नंबर को 0.4 और 0.7 के बीच बढ़ाती है. ब्रिटेन का आर नंबर 1.1 और 1.3 के बीच अनुमान लगाया गया है और मामलों में कमी लाने के लिए उसे 1.0 से नीचे होना जरूरी है.
कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन तेजी से फैलनेवाला
शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस की दोनों किस्मों के बीच अंतर 'बहुत ज्यादा' है. उन्होंने कहा, "ये बहुत बड़ा अंतर है कि कैसे आसानी से वायरस का नया स्ट्रेन फैल सकता है. महामारी के शुरू होने से अब तक ये वायरस में आनेवाला सबसे ज्यादा गंभीर बदलाव है." रिसर्च में बताया गया कि नई किस्म का फैलाव इंग्लैंड में लॉकडाउन के दौरान 3 गुना हुआ. हालांकि पूर्व वर्जन के मामलों में एक तिहाई कमी आई. ब्रिटेन में कोविड-19 के मामले हाल के दिनों में तेजी से बढ़ने शुरू हुए हैं और गुरुवार को एक दिन में मामलों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी गई.
शुरुआती नतीजों से संकेत मिला था कि कोरोना वायरस ज्यादा तेजी से 20 साल से नीचे की उम्र के लोगों खास कर स्कूल जानेवालों की उम्र के बच्चों में फैल रहा है. लेकिन नए रिसर्च के डेटा में बताया गया कि कोरोना वायरस की नई किस्म सभी उम्र के लोगों में तेजी से फैल रही है. शोधकर्ताओं का कहना है कि एक संभावित व्याख्या ये है कि शुरुआती डेटा नवंबर में लॉकडाउन के दौरान उस वक्त इकट्ठा किए गए थे जब स्कूल खुले हुए थे और व्यस्क आबादी की गतिविधियों पर पाबंदी थी.
पूर्व वर्जन से तुलनात्क अध्ययन में हुआ खुलासा
उन्होंने कहा, "अब हम देख रहे हैं कि वायरस का नया स्ट्रेन संक्रामकता को सभी ग्रुप में बढ़ा रहा है." ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जिम नाइस्मिथ कहते हैं, "मुझे नई खोज से इस बात का संकेत मिलता है कि सख्त पाबंदियों की जल्द जरूरत होगी." उन्होंने बताया कि सरल शब्दों इसे इस तरह समझा जा सकता है कि जब तक हम कुछ अलग नहीं करते हैं, तो वायरस का नया स्ट्रेन फैलने जा रहा है, ज्यादा संक्रमण होने जा रहा है, अस्पताल में ज्यादा संख्या होने जा रही है और ज्यादा मौत होने जा रही है.
आर नंबर लोगों का औसत नंबर है जिससे ये समझा जाता है कि एक संक्रमित शख्स कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है. अगर नंबर 1 से ऊपर है तो महामारी बढ़ने जा रही है. रिसर्च की चौंकानेवाली बात ये थी कि इंग्लैंड में नवंबर का लॉकडाउन बहुत लोगों के लिए जरूर सख्त था मगर उससे वायरस की नई किस्म का फैलाव रुक नहीं सका. हालांकि, उन पाबंदियों के नतीजे में वायरस की पूर्व किस्म के मामलों में एक तिहाई कमी आई. मगर नई किस्म के मामलों में 3 गुना बढ़ोतरी देखा गया. फिलहाल अभी स्पष्ट नहीं है कि वर्तमान सख्ती वायरस के फैलाव को काबू करने के लिए काफी होगी.
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