नई दिल्ली: आपको ये जानकार हैरानी होगी कि जिस कोरोना वायरस ने आज चीन की असल जिंदगी में कोहराम मचा रखा है, हूबहू वही सब नौ साल पहले हॉलीवुड की एक फिल्म में फिल्माया जा चुका है. फिल्म में दिखाया गया था कि अचानक हुए एक वायरस अटैक के सामने इंसान बेबस नजर आ रहा है. एक झटके में सैंकड़ों लोगों की जान चली जा रही है. ठीक वैसे ही जो आज चीन में हो रहा है.


दिलचस्प तो ये है कि फिल्म में भी वायरस की शुरूआत चीन से ही होती है. अब सवाल है नौ साल पहले का फिल्मी फसाना आज हकीकत कैसे बन गया. ऐसे में रूस की मीडिया की खबर पर कुछ लोग यकीन करते दिख रहे हैं कि चीन में जो कुछ हो रहा है, उसे साजिशन फैलाया गया है. तो क्या रूस की इस बात में सच्चाई है कि चीन में वायरस अटैक के पीछे अमेरिका है. या अमेरिका की इस बात में सच्चाई है कि चीन के Bio-War-Fare-Lab से इस वायरस का जन्म हुआ है.


चीन में कोरोना से मरने वालों की संख्या 1300 के पार पहुंची. करीब 60 हजार लोग फिलहाल वायरस की चपेट में हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक वैक्सिन बनाने में 18 महीने का वक्त लग सकता है. दुनिया की 60 फीसदी आबादी पर कोरोना वायरस का खतरा है. डब्लूएचओ ने कोरोना वायरस को दुनिया के लिए आतंकवाद से भी बड़ा खतरा माना. कोरोना वायरस 28 देशों में फैल चुका है. चीन के बाहर भी दो लोगों की मौत हो चुकी है.


हॉलीवुड फिल्म कंटेजियन के ट्रेलर में कोरोना वायरस की झलक है. ये फिल्म एक वायरस के खतरे पर बनाई गई थी. क्या 9 साल पहले अमेरिका ने कोरोना वायरस जैसे खतरे का अंदाजा लगा लिया था? इस फिल्म में जैसा दिखाया गया है हुबहू वैसा ही आज चीन में हो रहा है.


अमेरिका का दावा है कि इस वायरस के लिए खुद चीन जिम्मेदार है. चीन के ही BIO-WAR-FARE LAB से इसका जन्म हुआ है. ये थ्योरी अभी चल ही रही थी कि रूस के कई न्यूज चैनल ने चीन में फैले कोरोना वायरस के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया. रूस की मीडिया में एक्सपर्ट्स अपनी थ्योरी के लिए तर्क भी दे रहे हैं. अमेरिका की सीक्रेट सर्विस एजेंसी या फिर वहां की फार्मा कंपनियों ने ये वायरस फैलाया है. अमेरिका इसे रूस की सरकारी मीडिया का प्रोपेगेंडा बता रहा है. यूएस मिलिट्री की एक टीम रूस की समाचार एजेंसियों पर नजर रख रही हैं.


ये इत्तेफाक ही है कि कंटेजियन फिल्म जिस वायरस पर आधारित है उसकी शुरुआत भी चीन से होती है. पिछले साल दिसंबर में कोरोना वायरस भी चीन के वुहान से फैलना शुरू हुआ. हैरानी इस बात पर भी होती है कि कंटेजियन फिल्म के इस ऑफिशियल ट्रेलर के पहले सीन में काले केबल वाले एक पुल को दिखाया गया है. इस फिल्म में डॉक्टर मीयर्स नाम के किरदार को वायरस से निपटने की जिम्मेदारी दी जाती है. बाद में उनकी मौत हो जाती है. सच्चाई ये है कि कोरोना की पहली जानकारी देने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग की भी पिछले हफ्ते संदिग्ध हालत में मौत हो गई.


इसे इत्तेफाक कहेंगे या कुछ और कि फिल्म में जिस मशीन की मदद से डॉक्टर वायरस का पता लगाते हैं हुबहू वैसी ही मशीन से वुहान में कोरोना के संदिग्धों की पहचान की जा रही है. फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे वायरस की वजह से मास हिस्टीरिया फैला और शहर के शहर खाली पड़ गए. अब वैसा ही चीन के अधिकांश शहरों में हो रहा है वुहान की सड़कें सुनसान पड़ी हैं. फिल्म कंटेजियन में खतरनाक वायरस से लाखों लोग दम तोड़ देते हैं. एंबुलेंस में लोगों को ले जाया जाता है.


फिल्म में वायरस का एंटी डोट बनाने में डॉक्टरों को 500 दिन का वक्त लगा था. डब्लूएचओ ने आज कहा है कि कोरोना के एंटी डोट बनाने में 18 महीने लग सकते हैं यानी लगभग 500 दिन. फिल्म कंटेजियन में वायरस फैलने की वजह चमगादड़ थे. कोरोना वायरस के पीछे कारण चमगादड़ ही बताए जा रहे हैं.


वुहान में इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए चीन ने अपनी सेना को लगा दिया है . साल 2011 में फिल्म में ऐसा सीन पहले ही दिखाया जा चुका है. अंतर ये है कि फिल्म में अमेरिकी फौज का सीन था, यहां चीनी सैनिक हैं. कंटेजियन फिल्म में ये दिखाया गया है कि लिफ्ट के इस्तेमाल से भी कई लोग संक्रमित हुए थे. अब रियल लाइफ में लोग लिफ्ट के बटन को छूने से परहेज कर रहे हैं. वो लिफ्ट के बटन को लाइटर जैसी चीज से दबा रहे हैं और फिर उसे सैनेटाइज कर रहे हैं. अक्सर फिल्में सच्ची घटनाओं पर आधारित होती हैं लेकिन लग रहा है ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी महामारी पर फिल्म पहले बनी और वो सच नौ साल बाद हो रही है.