नई दिल्ली: कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 दिन का लॉक डाउन घोषित किया है जिसके बाद मज़दूर, फैक्ट्री कर्मचारी, रिक्शा चालक, टेलर और अन्य निम्न आय में गुज़ारा करने वाले अपने अपने गांव की ओर लौटने के लिए हज़ारों की तादाद में घरों से पिछले दिनों निकले. शनिवार को दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर करीब 15 हजार से ज्यादा मजदूर अपने गांव जाने के लिए उमड़ पड़े.

इनमें से ज़्यादातर लोगों का कहना था कि उनके पास शहर में रहने के लिए कोई घर नहीं है , किराए पर रहते थे. नौकरी ना होने पर किराया भरने में समर्थ नहीं है लिहाज़ा सब छोड़ छाड़ कर गांव की तरफ रवाना हो रहे हैं.एबीपी न्यूज ने ऐसे कई लोगों से बात की जो दो - दो दिनों से भूखे प्यासे पांच सौ, आठ सौ किलोमीटर का सफर पैदल करने पर मजबूर दिखाई दिए.

आनंद विहार पर भारी भीड़ का सीधा मतलब कोरोनावायरस के संक्रमण के फैलने का खतरा भी है लिहाज़ा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि दिल्ली छोड़ कर ना जाएं. इसके लिए दिल्ली सरकार द्वारा स्कूलों में शेल्टर होम भी बनाए गए. एबीपी न्यूज की टीम ऐसे ही दो शेल्टर होम में यह देखने के लिए पहुंची कि दिल्ली सरकार द्वारा बनाए शेल्टर होम में क्या मजदूरों की संख्या बढ़ी है और खाने पीने की व्यवस्था किस तरह की जा रही है.

दिल्ली के आईपी एक्सटेंशन, पटपड़गंज स्थित को - एड सर्वोदय सीनियर सेकंडरी स्कूल में सामान्य दिनों में बोर्ड की परीक्षाएं हो रही होती, लेकिन कोरोनावायरस के संक्रमण को मद्देनजर रखते हुए परीक्षा रद्द कर दी गई थीं. अब इन कक्षाओं की टेबल मेज को दीवारों से लगा कर कोने में खड़ा कर दिया गया है और मजदूरों और उनके परिवारों के लिए कक्षाओं में गद्दे बिछा दिए गए हैं. एक दूसरे के बीच में उचित दूरी को बनाए रखने के लिए एक कक्षा में 6 से ज़्यादा लोग नहीं हैं.

दिल्ली सरकार के वॉलंटियर आकाश इस स्कूल में रुके सभी लोगों के लिए रात दिन काम कर रहे हैं. एबीपी न्यूज से खास बातचीत में वो कहते हैं कि " शेल्टर होम में हर रोज लोगों की संख्या बढ़ रही है. कल रात 12 बजे तक 168 लोग थे , करीबन 1 बजे तक दस लोग और लाए गए. इस तरह करीबन 174 लोगों ने इस शेल्टर होम में रात गुजारी लेकिन सुबह होने पर 20-25 लोग शेल्टर होम छोड़ कर अपने घर की ओर पैदल चले गए.

चार मंजिला स्कूल की इस इमारत में कई कमरे हैं और 200 से ज़्यादा लोगों के रहने का इंतज़ाम आराम से होना संभव है. आकाश बताते हैं कि "हमने यहां लोगों के लिए 14 अप्रैल तक रुकने की व्यवस्था की है, दो से तीन वक़्त का खाना, मिड डे मील के वेंडर्स द्वारा पहुंचाया जा रहा है क्योंकि स्कूल में किचन नहीं है. छोटे बच्चों के लिए हर सुबह दूध और केले का प्रबंध भी किया गया है." लोगो से जब हमने दिल्ली सरकार के दावों पर सवाल किया तो लोगों ने बताया कि उन्हें वक़्त पर खाना मिल रहा है और वो बिना किसी किराए के शेल्टर होम में आने वाले दिनों में रह सकते हैं. हालांकि दिल्ली में रहने वाले लोग बेहतर विकल्प खोजते हुए शेल्टर होम को छोड़ कर वापस अपने किराए के घरों की तरफ लौटना चाहते हैं.

शेल्टर होम में अपने दो छोटे छोटे बच्चे और पति के साथ शरण लेने पहुंची मनीषा कहती हैं कि " हम सड़क पर रह रहे थे कुछ दिनों से , बच्चा छोटा है . मकान मालिक किराया मांग रहे थे इसलिए घर छोड़ना पड़ा. लेकिन पुलिस वाले कहीं जाने नहीं दे रहे और शेल्टर होम में मच्छर बहुत लग रहे हैं." मनीषा के पति कहते हैं कि " हमारा कुछ सामान किराए के घर पर है,कुछ दिनों के लिए गांव जा रहे थे. दुकानें खुलती तो वापस आ जाते. "

दिल्ली के आनंद विहार बस पकड़ने के लिए पहुंचा बिहार का एक परिवार अब शेल्टर होम में है. पिता और बेटा दोनों लोडिंग का काम करते थे. आने वाले दिनों के डर को भांपते हुए दोनों अपने गांव जल्द से जल्द पहुंचना चाहते हैं लेकिन लॉकडाउन में फंस गए. पिता महेश बताते हैं कि कंपनी के मालिक ने कह दिया कि दो महीना कंपनी बंद है , इन दो महीने के पैसे नहीं दिए जाएंगे वहीं मकान मालिक किराए के एडवांस पैसे मांगने लगा, किराए का घर छोड़ कर ना जाते तो क्या करते. दिल्ली सरकार द्वारा बने शेल्टर होम में यह परिवार डेढ़ दिन से रह रहा है और खाने पीने , रहने - सोने की और अन्य सुविधाओं से संतुष्ट नजर आया.
Coronavirus: बाजारों से भीड़ कम करने के लिये मुंबई पुलिस का स्मार्ट तरीका, खाली मैदानों को स्थानीय बाजारों में बदला

Coronavirus: लॉकडाउन के बीच निभाई गईं शादी की रस्में, दूल्हा-दुल्हन ने मास्क पहनकर लिए सात फेरे