नई दिल्ली: कोरोना वायरस दुनियाभर में तेजी से पैर पसार रहा है. इस वायरस ने दुनिया के 189 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. भारत में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. देश में अब तक कुल 396 लोग इस कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं वहीं सात लोगों की इससे मौत हो चुकी है. सवाल ये है कि अगर इस वायरस से स्थिति और खराब होती है तो क्या हमारे देश में इससे निपटने के लिए पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं हैं.
कोरोना से ग्रसित मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है ऐसे में उन्हें वेटिंलेटर की सख्त जरूरत पड़ती है. हैरानी की बात ये है कि हमारे देश आबादी के मुकाबले वेंटिलेटर की संख्या बहुत ही कम है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में इस समय सिर्फ 40,000 वेंटिलेटर ही उपलब्ध हैं. ये आंकड़े काफी चिंताजनक हैं.
देश में अभी कोरोना वायरस 396 लोग संक्रमित पाए गए हैं और सात लोगों की इस खतरनाक वायरस से जान जा चुकी है. वहीं अगर हालात और भी ज्यादा बुरे होते हैं तो सिर्फ पांच प्रतिशत लोगों को ही वेंटिलेटर की सुविधा मिल पाएगी.
कोरोना वायरस सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है. ऐसे में मरीज को वेंटिलेटर की सख्त जरूरत पड़ती है. ईरान और इटली में इन मरीजों में ये दिक्कत सबसे ज्यादा पाई गई. वहीं वेंटिलेटर बनाने कंपनियों का दावा है कि कम समय में इतने वेंटिलेटर का प्रोडक्शन आसान नहीं है और वेंटिलेटर के कुछ पार्ट्स चीन से आते हैं. इस समय चीन से कुछ भी आयात करना मुमकिन नहीं है. बता दें कि एक वेंटिलेटर को बनाने में आठ से दस लाख रुपये की लागत आती है.
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