नई दिल्ली: भारत में करीब सवा साल पहले जिस कोरोना महामारी ने धीमी रफ़्तार से दस्तक दी थी, उसने इस मई के महीने में ऐसा कोहराम मचाया कि सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये. संक्रमण की पहली लहर से लेकर दूसरी लहर के बीच हमारे लिए मई इतना मनहूस रहा कि इस महामारी ने सबसे ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला दिया.
देश में कोरोना से अब तक करीब तीन लाख 29 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और इसमें से अकेले मई में ही एक लाख 14 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई है. यानी अब तक हुई कुल मौतों का 35 फीसदी हिस्सा सिर्फ इस एक महीने के खाते में गया है, इसीलिए मई को सबसे अधिक विनाशकारी या ज़ालिम महीना कह सकते हैं.
संक्रमण के लिहाज से भी देखें, तो इसी महीने में ही कोरोना के सबसे अधिक नये मामले आये हैं, जो कुल मामलों के करीब 33 फीसदी थे. हालांकि ब्राज़ील और अमेरिका के बाद भारत ऐसा तीसरा देश बन गया है, जहां इस महामारी से तीन लाख से ज्यादा लोग मारे गए हैं.
लेकिन एक बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है कि अगर संक्रमण के नए केस कम हैं, तो फिर मृत्यु दर ज्यादा क्यों है? इस बारे में वैज्ञानिक व्याख्या यह की गई है कि संक्रमित होने का आंकड़ा और मृतकों का आंकड़ा लगभग दो सप्ताह पीछे रहा. यानी कि अगर कोई शख्स 3 मई को संक्रमित हुआ और दो हफ्ते बाद उसकी मृत्यु हुई तो वह 15 मई के बाद वाले आंकड़ों में गिना जाएगा. यही वजह रही कि मई के दूसरे हाफ में संक्रमितों का आंकड़ा तो कम हुआ, लेकिन मौत के आंकड़ों में कमी नहीं आई.
आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना की रफ्तार सुस्त पड़ रही है. यही नहीं पिछले कुछ दिनों के आंकड़ों को देखें तो भारत और भी कई मामलों में सुधार देख रहा है. मसलन, रोजाना आने वाले संक्रमण के मामले, पॉजिटिविटी टेस्ट रिपोर्ट और संक्रमण का फैलाव पहले की तुलना में काफी कम हुए हैं. हालांकि एक पैरामीटर पर स्वास्थ्य मंत्रालय की चिंता अभी भी कम नहीं हुई है और वह है, कोरोना मृत्यु दर. वैसे इस महामारी में तबाह हुए दूसरे देशों की तुलना में देखें तो यहां पर कोरोना मृत्यु दर कम ही रही है. इस आंकड़े में जो भी उछाल देखा गया है वह मई के दूसरे हाफ में ही देखा गया.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मई के पहले 15 दिनों में देश में 58,431 लोगों की मौत हुई, जो कि केस मृत्यु दर (CFR) के मुताबिक 1.06 प्रतिशत है. हालांकि अगले 14 दिनों में (मई 16-29) देश ने 55,688 नागरिकों को खोया है. केस मृत्यु दर (CFR) के मुताबिक यह आंकड़ा 1.73 प्रतिशत है. हालांकि एक सच यह भी है कि मई के दूसरे हाफ में (15 मई से पहले की तुलना में) कोरोना मामलों में 42 प्रतिशत की कमी आई.
भारत की कुल मृत्यु दर देखें तो वह 1.17 प्रतिशत है. अगर रोज के औसत मृत्यु केस भी देखें तो 2020 में कोरोना संक्रमण फैलने के बाद से मई (2021) महीना सबसे खराब रहा है. मई 2021 में रोजाना औसतन 3,935 मरीजों की जान गई है. जबकि इससे पहले अप्रैल तक यही आंकड़ा 1,631 था. कोरोना के लिहाज से आखिरी दो महीने कितने खराब रहे, यह समझने के लिए फरवरी 2021 के आंकड़ों को पर गौर करें, तो उस महीने में रोजाना 99 कोरोना मरीजों की जान जा रही थी.
वैज्ञानिकों के तर्क के मुताबिक, चूंकि 15 मई के बाद कोरोना संक्रमण के मामले कम होने शुरू हुए, इसलिए मृत्यु दर में कमी जून महीने से देखी जाएगी. पिछले कुछ दिनों के आंकड़े अगर देखें तो कोरोना मृत्यु दर में गिरावट भी आई है. इसलिए कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में मृत्यु दर में और गिरावट देखी जाएगी.