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Coronavirus: दिल्ली के अस्पतालों में खत्म नहीं हो रही हैं मरीज़ों और उनके परिजनों की परेशानियां

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साथ ही मरीजों और उनके परिजनों को तमामत तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एबीपी न्यूज की टीम ने कुछ अस्पतालों के हालातों का जायजा लिया.

नई दिल्ली: दिल्ली के लेडी हार्डिंग अस्पताल की तस्वीरें कुछ यूं हैं कि अस्पताल में LED डिस्प्ले अभी तक नहीं लगा है. हालांकि अस्पताल की वेबसाइट पर हर दिन के बेड्स और वेंटिलेटर्स का ब्यौरा दिया जा रहा है. LED ना सही तो एक नोटिस के ज़रिए भी यह जानकारी अस्पताल में आ रहे अन्य मरीज़ों को नहीं दी गयी.

अस्पताल के गेट पर तैनात किया गया गार्ड सबकी थर्मल स्कैनिंग करता हुआ नजर आया. उसी के साथ साथ अंदर जाने से पहले अस्पताल आये मरीज़ों से पूछा जा रहा है कि आखिर उन्हें जाना कहां है? अगर मरीज़ अस्पताल के OPD जाना चाहते हैं तो उन्हें अस्पताल के गेट नम्बर 5 पर जाने को कहा जा रहा है. टेस्टिंग के लिए मदर अलग अलग कक्ष बने हुए नज़र आये और जगह जगह बड़े बड़े पोस्टरों से लोगों को तमाम जानकारी भी दी जा रही है, की कहा पर कोविड टेस्टिंग का रजिस्ट्रेशन होगा, कहा पर सम्भावित कोविड संक्रमित मरीज़ों की टेस्टिंग होगी, उसी के साथ अस्पताल के कौन से द्वार से एयर वार्ड में संक्रमित (Covid positive) मरीज़ जा सकते हैं. लेकिन वहीं अस्पताल के बाहर कुछ ऐसे लोग भी नज़र आये जो बेहद ही परेशान हैं.

सरोज के पिता LNJP अस्पताल में भर्ती हैं. पहले उन्हें लेडी हार्डिंग अस्पताल में लाया गया था, अस्पताल में कोविड टेस्ट के बाद, उनके पिता पॉजिटिव पाए गए, फिर बेड न होने की वजह से उन्हें अपने पिता को LNJP अस्पताल लाना पड़ा. उनके पिता का पहले से ही आंख और नाख की किसी बीमारी का इलाज चल रहा था. उनका कहना है कि LNJP में उनके पिता की दवाई कोई नहीं दे रहा है. डॉक्टर देखने वाला नहीं है. केवल कोविड की ही दवाई दी जा रही है. अब वह वापिस लेडी हार्डिंग अस्पताल आयी हैं, इस आस में की उनके पिता की दवाइयों का कही से इंतज़ाम हो जाये.

सरोज जो सुबह हमे लेडी हार्डिंग अस्पताल के बाहर दवाईयों को ढूंढती हुई नजर आईं थीं, उन्होंने कुछ घंटो बाद एक बार फिर ABP news को बताया कि उन्हें लेडी हार्डिंग अस्पताल से भी अपने पिता, रामसिंह के कोविड के अलावा अन्य बीमारियों के इलाज की दवाई नहीं मिली. अस्पताल ने उन्हें कहा कि लेडी हार्डिंग केंद्रीय सरकार के अंतर्गत आता है और उनके पिता LNJP में भर्ती हैं, जो कि राज्य सरकार के अंतर्गत है, ऐसे में यदि वो उनके पिता की दवाई देंगे तो वो खुद मुश्किल में पड़ जाएंगे.

एक बार फिर सरोज को अस्पताल से खाली हाथ लौटना पड़ा. वैसे तो सरोज के पिता का इलाज, आंख और नाख की समस्या को लेकर पिछले लगभग डेढ़ महीने से लेडी हार्डिंग अस्पताल में ही चल रहा था. कोविड पॉजिटिव होने के बाद लेडी हार्डिंग अस्पताल ने उन्हें अपने पिता को सेल्फ इसोलेट करने को कहा. घर मे 3 बच्चे हैं, 13, 10 और 7 साल के, उसी के साथ उनके पिता की और मेडिकल कंप्लीकेशन्स भी थी जिससे उन्हें काफी तकलीफ भी होने लगी, ऐसे में उन्होंने बेहतर समझा कि LNJP अस्पताल में अपने पिता को भर्ती करवा दें.

LNJP अस्पताल पर सरोज ने काफी गम्भीर आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि अस्पताल में कई सारे मरीज़ों के फ़ोन्स छीन लिए गए हैं, उन्होंने उसका कारण मरीज़ों द्वारा तमाम वीडियोज को मीडिया के सामने रखना बताया. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता को अभी तक उनकी आंख और नाख की दवा नहीं मिली है, डॉक्टर दिन में एक बार आता है, और कोविड कि दवाई ही दी जाती है, पेशंट हिस्ट्री भी नहीं देखी जाती. उनका कहना है कि अगर उनके पिता का इलाज जल्द से जल्द नहीं हुआ, तो इंफेक्शन उनके दिमाग तक पहुंच सकता है, जान भी जा सकती है.

वहीं दूसरा व्यक्ति पंकज श्रीवास्तव अस्पताल के बाहर रिपोर्ट लिए हुए भटकते नज़र आया. उनका कहना है कि वह शुगर के मरीज़ हैं. अपनी दवाइयां लेने अस्पताल आये थे, लेकिन अस्पताल इतने दिनों से दवाई नहीं है ऐसा कह रहा है. अब आज एक बार फिर 15 दिन बाद आने को कहा. ऐसा पूछने पर की वो केमिस्ट की दुकान से इन्सुलिन क्यों नही खरीद लेते उनका कहना है लॉकडाउन में काम धंधा सब ठप्प पड़ गया, घर मे पैसे आने के ज़रिए खत्म हो गए थे, पैसे की किल्लत में कहा से दवाई लेंगे? फिर सरकारी अस्पतालों के होने का फायदा क्या?

जब हमने दोनों अस्पतालों की प्रशासन से बात करने का प्रयास किया तो कई कॉल्स और मैसेजेस करने के बाद, कई घंटों में हमे उनका जवाब मिला. जहां एक ओर लेडी हार्डिंग अस्पताल के MD ने यह बताया कि आज एक बोर्ड अस्पताल के बाहर लगा दिया जाएगा, वहीं LED लगने में अभी समय लगेगा. और रही बात सरोज जी की अपने पिता के लिए लेडी हार्डिंग अस्पताल से दवाइयां लेने की बात, तो उसपर वह कहते हैं कि यह राज्य बनाम केंद्रीय सरकार नही है. वो कहते हैं कि मरीज़ तक दवाइयां पहुंचने का ज़िम्मा उसी अस्पताल का होता है जहां वो भर्ती किया जाता है, इससे परे की भर्ती होने से पहले उसका इलाज कहां हो रहा था.

वहीं LNJP अस्पताल के MD से हमारा सम्पर्क नहीं हो पाया लेकिन अस्पताल की PRO ने तमाम कॉल्स और मेसेजेस करने के बाद अस्पताल की सफाई में बस दो शब्दों में उत्तर दिया-'Not true.' उन्होंने सभी आरोपों को झूठा बताया. जब हमने उनसे इस जवाब की भी सफाई लेना चाही, तो फिरसे चुप्पी ही मिली. हालांकि सवाल यही खड़ा होता है कि अगर सरोज के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है तो फिर वह क्यों अपने पिता की दवाइयों के लिए दर दर भटकतीं रहीं.

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