नई दिल्ली: लोगों की लापरवाही ने वायरस को बढ़ने का मौका तो दे ही दिया है. लेकिन एक डराने वाली खबर ये है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज ले ली है, वो भी इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं, लेकिन क्यों ? वैक्सीन से कोरोना पर विजय की जो उम्मीद देश लगाए बैठा था, उस उम्मीद को वायरस ने कैसे धराशायी कर दिया है.


कोरोना की दोनों डोज लगवाने के बाद भी 12 डॉक्टर्स संक्रमित


वैक्सीन आने के बाद सरकार का मकसद ये था कि स्वास्थ्यकर्मियों को सबसे पहले कोरोना से सुरक्षित किया जाए. लेकिन वायरस ने बता दिया कि मौजूदा स्थिति में बलवान वही है. और इसकी बड़ी तस्वीर ये है कि अब लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के 12 डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. इन सभी डॉक्टरों को कोरोना की दोनों डोज लग चुकी थीं.


इस मामले पर केजीएमयू लखनऊ के पीआरओ डॉ सुधीर सिंह ने कहा, ''मेडिकल में एब्सोल्यूट कुछ नहीं होता, क्योंकि इम्युनिटी बनने में समय लगता है. ऐसे के सावधानियां बरतनी ज़रूरी हैं. माइक्रो ऑर्गेनिज़्म में कई बार ऐसा होता है कि वो अपना ट्रेंड चेंज कर लेता है. ऐसे में जिन्हें वैक्सीन लग भी गई है उन्हें भी एहतियात बरतनी होगी.''


100% सुरक्षा की गारंटी नहीं देती वैक्सीन


मतलब ये कि अभी समय लंबा लगेगा और मुकम्मल दवा आने तक आप सावधान रहेंगे. तभी संक्रमण से सुरक्षित भी रह सकेंगे. इसकी बड़ी वजह ये है कि दुनिया में कोरोना की एक भी वैक्सीन ऐसी नहीं बनी जो 100% सुरक्षा की गारंटी देती हो. कोरोना वैक्सीन लगने के बाद भी एंटीबॉडी बनने में वक्त लगता है. दूसरी डोज के बाद एंटीबॉडी रिस्पांस 4 से 6 हफ्ते बाद ही असर दिखाता है.


दिल्ली के हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट के डॉ. के के सेठी ने बताया, ''धीरे धीरे एंटीबॉडी का लेवल बढ़ रहा होता है और जो वायरस से इन्फेक्शन होता है. उसमें वायरस से लोड कितना मिला, उसके और डिफेंस में कौन जीता उसपर निर्भर करता है कि बीमारी होती है या नहीं. दूसरी बात वैक्सीन अगर 90 फीसदी असरदार है तो कोई तो 10% में आएगा, जिसको इन्फेक्शन होगा.''


संक्रमण से नहीं, कॉम्पलीकेशन्स से बचाती है वैक्सीन- एक्सपर्ट


पल्मोनोलॉजी मेडिसिन के एक्सपर्ट डॉ. प्रीतपाल सिंह कहते हैं, ''कोई भी वैक्सीन होती है उसका ये मतलब नहीं होता है कि आपको इन्फेक्शन नहीं हो सकता. ऐसा नहीं है कि आप पॉजिटिव नहीं हो सकते. जैसे छोटे बच्चे हैं, उन्हें टीका लगाते है बीसीजी लगवाते हैं तो इसका मतलब है बच्चों को टीबी हो सकता है, लेकिन उससे होने वाली कॉम्पलीकेशन नहीं हो सकती. कोरोना की वैक्सीन के साथ भी ऐसा ही है.''


इसका मतलब साफ है कि सावधानी हटी, तो संक्रमण की दुर्घटना घटी. इसलिए जरूरी है कि आप गलतफहमी में ना पड़ें और पहले की तरह कोरोना नियमों का पालन करें. खासतौर पर इसलिए क्योंकि कोरोना के नए स्ट्रेन देश में दाखिल हो चुके हैं. जो पहले से ज्यादा रफ्तार से संक्रमित करते हैं.


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