कोरोना महामारी के समय कोविड-19 के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की मांग बढ़ गई है. हालांकि, कोविड-19 के खिलाफ अभी तक कोई कारगर दवा नहीं है, लेकिन कॉनवैलीसेंट प्लाज्मा प्रायोगिक इलाज है. इसलिए डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हो चुके लोगों को आगे आकर कोविड-19 पीड़ितों की सहायता करने की अपील कर रहे हैं. दरअसल जब कोई वायरस या सूक्ष्मजीव शरीर में घुसता है, तब इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और उसके खिलाफ एंटीबॉडीज का निर्माण करता है.
डॉक्टर कोविड-19 को मात दे चुके मरीजों के डोनेट किए हुए ब्लड से एंटीबॉडीज से भरपूर सीरम को अलग करते हैं और बुरी तरह प्रभावित मरीज के शरीर में उसे चढ़ाते हैं. ये एंटीबॉडीज सूक्ष्म जीव और होनेवाले संक्रमण के खिलाफ लड़ते हैं. अगर आप भी प्लाज्मा डोनेट करने की सोच रहे हैं, तब आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए. केंद्र सरकार ने क्या करें और क्या नहीं करें की लिस्ट उपलब्ध कराई है.
कौन प्लाज्मा डोनेट कर सकता है
प्लाज्मा डोनेट करने के लिए रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए.
कोविड निगेटिव के नतीजे RT PCR जांच से होना चाहिए.
हार्ड कॉपी और आधार कार्ड की कॉपी साथ होना चाहिए.
एसिम्पटोमैटिक होने की सूरत में कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट के सिर्फ 14 दिनों बाद डोनेट करें.
या सिम्पटोमैटिक होने की सूरत में लक्षण के 14 दिनों बाद प्लाज्मा डोनेट किया जा सकता है.
कौन प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकता
प्रेगनेन्ट महिला या पहले प्रेगनेन्ट थी, वो अपना प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकती.
डोज ले चुका शख्स टीकाकरण की तारीख से 28 दिनों तक प्लाज्मा डोनेट करने में सक्षम नहीं होगा.
किसी को ब्लड में एंटी बॉडीज की कमी के चलते खारिज कर दिया गया हो, तो वह भी डोनेट नहीं कर सकता.
प्लाज्मा डोनेशन पर सूचना के लिए वेबसाइट की लिस्ट
covidplasma.online
गौरतलब है कि देश में कोरोना संक्रमण के मामले ऑक्सीजन स्पलाई के संकट और कोरोना की नई किस्म के बीच चिंताजनक स्तर तक बढ़ रहे हैं. उसको मद्देनजर रखते हुए आपका किया हुआ योगदान किसी की जिंदगी बचाने के काम आ सकता है. जो लोग कोरोना को मात दे चुके हैं, उन्हें संकट के समय जरूर आगे आना चाहिए.
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