नई दिल्ली: COVID-19 Pandemic in India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच सोमवार शाम हुई फोन वार्ता में भारत व अमेरिका के मौजूदा कोरोना संकट तथा इससे निपटने के लिए आपसी सहयोग को लेकर बातचीत हुई. करीब आधे घंटे की इस बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि कोरोना टीकों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति आबाध रहना चाहिए.
करीब आधे घण्टे से अधिक समय तक चले इस फोन कॉल में दोनों नेताओं ने भारत में कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए चल रहे प्रयासों पर भी बात की. इसमें टीकाकरण, दवाओं और स्वास्थ्य उपकरणों की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास शामिल हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति बाइडन को अमेरिका से मिले सहयोग के लिए धन्यवाद दिया. वहीं दोनों नेताओं ने कोविड19 के खिलाफ आपसी वैक्सीन सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया.
इस फोन कॉल के बाद व्हाइट हाउस से जारी प्रेस बयान में कहा गया कि भारत में कोविड-19 मामलों से प्रभावित लोगों के साथ अमेरिका पूरी मजबूती के साथ खड़ा है. अमेरिका भारत को आपात सहायता के तौर पर ऑक्सीजन संबंधी उपकरण वैक्सीन सामग्री और दवाएं इत्यादि मुहैया करा रहा है.
ध्यान रहे कि इससे पहले भारत और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच हुई बातचीत के बाद अमेरिका ने कोविशील्ड वैक्सीन की रॉ मैटेरियल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध स्रोतों की पहचान कर मदद का भरोसा दिया था. साथ ही अमेरिकी रक्षा विभाग ने भारत-पाक जरूरी साजो सामान पहुंचाने के लिए अपने ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक तंत्र के इस्तेमाल का भी एलान किया है.
भारत और अमेरिका के नेताओं की फोन वार्ता के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा दोनों पक्षों ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए आपसी साझेदारी को अहम करार दिया. दोनों नेताओं ने अपने संबंधित अधिकारियों को आपस में तालमेल कर साझा प्रयास आगे बढ़ाने के भी निर्देश दिए. पीएम मोदी ने कोरोना रोकथाम के प्रयासों में दवाओं और चिकित्सा सामग्री की निरंतर आपूर्ति के साथ ही विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक सम्पदा सम्बन्धी ट्रिप्स प्रावधानों में भी रियायत का आग्रह किया ताकि टीकों की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.
महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ फोन कॉल में भारतीय वैक्सीन निर्माताओं के लिए कच्चे माल की आपूर्ति का मामला. मगर इस आग्रह की अहमियत केवल भारत क़ई ज़रूरतों के लिहाज से ही नहीं है. बल्कि इसके महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भारत में घरेलू मांग बढ़ने और अमेरिका की तरफ से कच्चे माल की आपूर्ति में लगाए गए नियंत्रण के परिणामस्वरूप टीकों की तंगी विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी झेलनी पड़ी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना कि भारत के वैक्सीन निर्माताओं की आपूर्ति क्षमता प्रभावित होने का असर उसके कोवैक्स जैसे प्रोग्राम पर भी पड़ा है जिसमें गरीब व कमज़ोर मुल्कों को टीके मुहैया कराए जाते हैं. WHO ने कहा कि उसका कोवैक्स कार्यक्रम बीते कुछ हफ्तों के दौरान निर्धारित लक्ष्य से पीछे चल रहा है और वैक्सीन उपलब्धता की किल्लत से जूझ रहा है.