नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण ने अगले सप्ताह होने वाली भारत यूरोपीय संघ के बीच होने वाली शिखर बैठक पर भी ग्रहण लग दिया है. स्वास्थ्य चिंताओं के चलते इस बैठक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेल्जियम यात्रा को फिलहाल टालने का फैसला लिया गया है. हालांकि, इस बीच पीएम मोदी के 17-18 मार्च को बांग्लादेश दौरे का कार्यक्रम बरकरार है.


विदेश मंत्रालय प्रवक्ता के मुताबिक दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य सलाहों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है कि फिलहाल यात्रा को टाला जाए और प्रस्तावित शिखर बैठक को अगली किसी तारीख पर रखा जाए. यह भारत और यूरोपीय संघ के मित्रतापूर्ण संबंधों को ध्यान में रखते हुए आपसी सहमति से तय किया गया. भारत और यूरोपीय संघ वैश्विक स्वस्थ को लेकर एक समान चिंताएं रखते हैं. उम्मीद है कि कोरोना वायरस का यह संकट जल्द ही खत्म होगा.


महत्वपूर्ण है कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच शिखर बैठक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 13-14 मार्च को बेल्जियम जाने की तैयारी चल रही थी. इस कड़ी में बीते दिनों विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने ब्रुसेल्स का दौरा किया था और यूरोपीय संघ के नेताओं से मुलाकात की थी.


पीएम की प्रस्तावित यात्र की अहमियत इस लिहाज़ा से भी थी कि कुछ सप्ताह पहले यूरोपीय संसद में भारत के CAA कानून पर विरोध जताते हुए प्रस्ताव रखा गया था. इस प्रस्ताव पर मतदान को मार्च के अंत तक यह कहते हुए टाला गया था कि तब तक यूरोपीय संसद के नेता भारतीय नेतृत्व के साथ होने वाली मुलाकातों में उनका पक्ष भी जान लेंगे. हालांकि, यूरोपीय संघ ने इस प्रस्ताव से खुद को अलग बताया था.


इस बीच पीएम मोदी बेल्जियम भले ना जा रहे हों लेकिन उनकी बांग्लादेश यात्रा का कार्यक्रम बरकरार है. विदेश मंत्रालय प्रवक्ता के मुताबिक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की जन्मशती का कार्यक्रम बांग्लादेश में मनाया जा रहा है. इसके लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारतीय प्रधानमंत्री को निमंत्रण दिया था जिसे स्वीकार किया गया है.


बांग्लादेश की राजधानी ढाका में होने वाले मुख्य समारोह के लिए पीएम मोदी 17-18 मार्च को जाएंगे. पीएम मोदी की यात्रा का सबब भले ही बंगबंधु जन्मशत कार्यक्रम हो लेकिन यह दौरा ऐसे वक्त होगी जब भारत में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शनों की सियासत गर्म है.


लिहाज़ा, इस दौरान इस बात पर ही नज़रें होंगी कि क्या मेज़बान की तरफ से इस बाबत चिंता के सवाल आगे रखे जाते हैं या नहीं. हालांकि, अभी तक जहां भारत नागरिकता संशोधन कानून को अपना अंदरूनी मामला करार देता आया है. वहीं भारत की तरफ से दी गई दलीलों के आधार पर बांग्लादेश सरकार भी भारत का आंतरिक मसला बताती आई है.


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