नई दिल्ली: तबलीगी जमात की लापरवाही ने भारत की बड़ी आबादी को कोरोना वायरस से बचाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के स्वास्थ्य सैनिकों की कोशिशों पर काफी हद तक पानी फेर दिया है. देशव्यापी लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस संक्रमण पर 62 फीसद तक लगाम लगाने की उम्मीद थी. मगर अब आलम यह है कि तबलीगी जमात से जुड़े कोविड19 पॉजिटिव मामलों की हिस्सेदारी 33 फीसद तक हो चुकी है.


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक तबलीगी जमात से जुड़े लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने का आंकड़ा बीते 24 घंटों में 400 से बढ़कर 647 हो गया है. साथ ही इनका विस्तार देश के 14 राज्यों में हो गया है. स्वास्थ्य नेटवर्क में तबलीगी जमात से जुड़े 9000 से ज्यादा लोगों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जा रही है.


सरकारी सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन से पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अपने आकलन में सरकार को बताया था कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग के प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाए तो भारत इस महामारी के विस्तार को 60 से 90 फीसद के बीच कम कर सकता है. इन्हीं आकलनों को आधार बनाते हुए प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी. मगर इस लॉकडाउन के पहले ही हफ्ते में जिस तरह दिल्ली से करीब ढाई हजार और देश के अन्य हिस्सों में तबलीगी जमात के आयोजन में शरीक हुए लोगों के बीच कोरोना वायरस के मामले सामने आए उसने सारा गणित गड़बड़ा दिया है.


सूत्रों का कहना है कि भारत में अप्रैल के अंत और मई के पहले हफ्ते में कोरोना के मामलों की संख्या चरम तक पहुंच सकती है. हालांकि इस मामले की निगरानी कर रहे जानकार फिलहाल यह आकलन साझा करने से बच रहे हैं कि भारत में चरम का यह आंकड़ा कितने तक जाएगा. मगर जानकार इतना जरूर कहते हैं कि भारत में चरम का ग्राफ यूरोप के कई अन्य मुल्कों की तुलना में कम रहने का अनुमान है.


इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय नई परीक्षण रणनीति की भी तैयारी कर रहा है. सूत्र बताते हैं कि नई रणनीति में अधिक कोरोना पॉजिटिव मरीजों वाले हॉटस्पॉट इलाकों में अधिक संख्या और तेज रफ्तार से टेस्ट की भी शुरुआत की जाएगी. इसके तहत एंटीबॉडी और एंटीजन आधारित टेस्ट किया जाएगा. साथ ही उसे कन्फर्म करने के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण किया जाएगा. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद आईसीएमआर जल्द ही नए बदलावों के साथ दिशा निर्देश जारी करेगा.


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