नई दिल्ली: कोरोना का खिलाफ भारत की लड़ाई में दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क भी बड़ी भूमिका निभा रहा है. देश में डेढ़ लाख से ज़्यादा पोस्ट डाकखानों और लाखों डाककर्मियों वाला भारतीय डाक विभाग इन दिनों जहां स्वास्थ्य सेवाओं की लाइफलाइन बना हुआ है. वहीं लॉकडाउन के दौरान लोगों के दरवाजे तक बैंक भुगतान भी पहुंचाने में भी जुटा है. डाकिए की मदद से आधार के जरिए अपने बैंक खातों से धन निकलने की सुविधा घरों में बैठे लोगों को बड़ी राहत दे रही है.


डाकिए लोगों को बैंक से पैसे निकालने की सुविधा भी मुहैया करा रहे हैं


भारतीय पोस्ट विभाग के सचिव प्रदीप्त कुमार बिश्नोई ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि अब तक 100 टन से अधिक चिकित्सा सामग्री को डाक विभाग दूर-दराज़ का इलाकों तक पहुंचा चुका है. कई कंपनियों के साथ भी टाई आप किया गया है ताकि लॉकडाउन के दौरान लोगों तक उनकी ज़रूरी दवाएं मुहैया कराई जा सकें. साथ ही डाकिए लोगों को बैंक से पैसे निकालने की सुविधा उनके दरवाज़े तक लेकर जा रहे हैं.


मोबाइल फोन से जुड़ी बायोमेट्रिक मशीन के जरिए लोग केवल अपने आधार कार्ड के जरिए अपने किसी भी बैंक कहते से पैसे निकाल सकते हैं. इसमें 10 हज़ार रुपये तक निकलने की सुविधा दी जा रही है. इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और सीधे लोगों के खातों में पहुंचने वाली धन सुविधाओं के लाभ भी लोगों को उनके दरवाजे पहुचने के प्रयास हो रहा है ताकि न तो बैंकों में भीड़ बढ़े और न ही लोगों को लॉकडाउन के बीच आने की ज़रूरत लगे.


मोबाइल पोस्ट ऑफिस से लोगों को मिल रही है राहत
बदली पोस्टल सुविधा की जमीन जांच करने के लिए एबीपी न्यूज़ की टीम राजधानी दिल्ली के कालीबाड़ी इलाके में पहुंची तो वहां एक सरकारी वृद्धाश्रम के दरवाजे पर मोबाइल पोस्ट ऑफिस की वैन खड़ी नज़र आई. इस वैन के जरिए लोग अपनी डाक और पार्सल बुकिंग की सुविधाएं ले सकते हैं. वहीं आधार नम्बर के जरिए लोग पैसे बैंक खातों से पैसे निकलते भी नज़र आए. सेवाओं की निरिक्षण करने निकले दिल्ली सर्कल के निदेशक पोस्ट दुष्यंत मुद्गल ने बताया कि राजधानी दिल्ली में भी इस तरह की दो पोस्टल वैन रखी जा रही हैं जो विभिन्न इलाकों में जाती हैं और बैंकिंग व पोस्टल सुविधाएं पहुंचाती हैं.


भारतीय डाक विभाग इन दिनों रेल और कार्गो विमान सेवाओं के जरिए मेडिकल साज़ो-समान की सप्लाई कर रहा है. महानिदेशक पोस्ट सेवा अरुंधती घोष बताती हैं कि भारतीय डाक विभाग के कामकाज का अधिकतर भाग इन दिनों चिकित्सा उपकरणों को पहुंचाने का काम ही है. इस कड़ी में जहां कोविड19 टेस्ट किट को कम से कम समय में दूर दराज इलाकों तक पहुंचने के काम है. वहीं कुछ ऐसी दवाएं जिन्हें कोल्ड स्टोरेज में पहुंचने की ज़रूरत होते है, उनकी आपूर्ति भी सुनिश्चित की जा रही है.


मिशन मोड में काम कर रहा है विभाग


नई दिल्ली इलाके के सबसे पुराने डाकघर यानी गोल डाकखाने के बुकिंग काउंटर पर इन दिनों पीपीई किट, फेस मास्क और अन्य मेडिकल ज़रूरत के समान ही नज़र आते हैं. बीते 20 दिनों में मेडिकल समान की 15 हज़ार बुकिंग हो चुकी है. नई दिल्ली डाक सर्कल के प्रभारी आरवी चौधरी के मुताबिक पूरा विभाग इन दिनों मिशन मोड में काम कर रहा है. ऐसे में जय पुणे से ऋषिकेश केवल 24 घंटे में कोरोना का टेस्ट किट पहुंचने में हमें कामयाबी मिलती है तो बहुत अच्छा लगता है.


पोस्टल सेवा महानिदेशक अरुंधति घोष के मुताबिक कोविड संकट के दौरान कई इलाकों में ऐसे मौके भी सामने आते हैं जब डाक सेवा में लगे कर्मचारी नई मिसाल भी कायम कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल के नाडिया उत्तर में तैनात पोस्टमास्ट संजीब कुमार खुद ही 120 किमी से अधिक सायकल चलकर गए और लोगों को उनकी पेंशन देकर आए. एबीपी न्यूज़ ने जब हलदर से सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया कि 7 अप्रैल को सुबह साढ़े 5 बजे वो निकले थे और 100 से ज़्यादा किमी दूर दूर दराज इलाकों में लोगों को उनकी पेंशन पहुंचाई. उस समय बस सोच यही थी कि लॉकडाउन है और उन्हें पैसे की ज़रूरत होगी. गांव में लोग परेशान होंगे और ऐसे में उनको मदद मुहैया कराई जानी चाहिए.


इसके अलावा लॉक डाउन का दौरान सोशल मीडिया संवेदनशीलता का भी खास ध्यान डाक विभाग रख रहा है. इस कड़ी में बाकायदा एक टीम बनाकर लोगों की सोशल मीडिया पर आने वाली शिकायतों और मांगों पर कार्रवाई का प्रयास किया जा रहा है.


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