नई दिल्ली: केंद्र और राज्य सरकारें कोरोना से मुक़ाबले के लिए लॉक डाउन के दौरान सभी ज़रुरी चीजों की सप्लाई बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं. इनमें हैंड सैनिटाइजर एक ऐसा सामान है, जिसका उपयोग आम लोगों से लेकर डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ तक कर रहे हैं.


शराब की फैक्ट्री में भी बनने लगा सैनिटाइजर
कोरोना से लड़ाई में सबसे ज़्यादा काम आने वाले हथियार हैंड सैनिटाइजर के उत्पादन में तेज़ी लाने के लिए सरकार ने कई फ़ैसले किए हैं. सबसे बड़ा क़दम उठाते हुए अब शराब बनाने वाली 45 फैक्ट्रियों को सैनिटाइजर के उत्पादन का लाइसेंस दिया गया है. उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक़ इनमें से ज़्यादातर में अब उत्पादन भी शुरू हो चुका है. इसके अलावा अगले एक दो दिनों में 55 और फैक्ट्रियों को भी सैनिटाइजर के उत्पादन का लाइसेंस दिए जाने की संभावना है, जिनमें एक सप्ताह के अंदर उत्पादन शुरू हो जाएगा.


तीन शिफ्ट में काम करें यूनिट
शराब की फैक्ट्रियों के अलावा अलग अलग वस्तुओं का उत्पादन करने वाली 562 अन्य निर्माता कम्पनियों को भी सैनिटाइजर के उत्पादन का लाइसेंस जारी कर दिया गया है. इन यूनिट में भी उत्पादन शुरू हो चुका है. सरकार ने सैनिटाइजर बनाने के काम में लगे निर्माताओं को तीन शिफ्ट में काम करने का निर्देश दिया है, ताकि इसके उत्पादन में तेज़ी आ सके. सरकार ने सभी राज्य सरकारों से उसके तहत काम करने वाले अधिकारियों को सैनिटाइजर उत्पादन की इजाज़त या लाइसेंस देने में आने वाली किसी भी प्रकार की प्रशासनिक बाधाओं को तुरन्त दूर करने का निर्देश दिया है.


सैनिटाइजर की आपूर्ति में कोई कमी नहीं
सरकार का दावा है कि आने वाले दिनों में आम ग्राहकों और अस्पतालों में सैनिटाइजर की सप्लाई में कोई कमी नहीं रहेगी. सरकार सैनिटाइजर की क़ीमत भी पहले ही तय कर चुकी है. 200 ml के सैनिटाइजर की क़ीमत सरकार की ओर से 100 रुपए तय की गई है और उसे आवश्यक वस्तु क़ानून के तहत आवश्यक वस्तु की श्रेणी में डाल दिया गया है. इस क़ानून के उल्लंघन के लिए अधिकतम 7 साल की क़ैद का प्रावधान है.


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