COVID 19: भारत के लिए किस तरह का वैक्सीन सबसे उपयुक्त होगा, जानें क्या है वैज्ञानिकों की राय?
एजेंसी
Updated at:
18 Nov 2020 03:32 PM (IST)
फाइजर-बायोएनटेक तीसरे चरण के अंतरिम नतीजे में 90 फीसदी, स्पूतनिक-5 92 फीसदी और मोडेरना 94.5 फीसदी प्रभावी साबित हुआ है. इन संभावित टीकों के परीक्षणों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही कोरोना वायरस का वैक्सीन मिल सकता है.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
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नई दिल्ली: जब दुनियाभर में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए कई संभावित वैक्सीन परीक्षण के आखिरी चरण में पहुंच रहे हैं, ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत के लिए वे वैक्सीन संभवत: कारगर नहीं होंगे, जिनके भंडारण के लिए बेहद कम तापमान की आवश्यकता है और प्रोटीन आधारित वैक्सीन देश के लिए उपयुक्त हो सकता है.
वैज्ञानिकों ने अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे संभावित टीके को भारत के लिए सबसे उपयुक्त बताते हुए कहा कि कोविड-19 का सही वैक्सीन खरीदने का फैसला कई कारकों पर निर्भर करेगा. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वैक्सीन कितना सुरक्षित है, उसकी कीमत क्या है और उसे इस्तेमाल करना कितना सुविधाजनक है.
इससे वे तीन संभावित टीके संभवत: नकारे जा सकते हैं, जो पिछले कुछ दिन में 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावी साबित हुए हैं. फाइजर-बायोएनटेक तीसरे चरण के अंतरिम परिणाम में 90 प्रतिशत, स्पूतनिक पांच 92 प्रतिशत और मोडेरना 94.5 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है. इन संभावित टीकों के परीक्षणों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही कोरोना वायरस का वैक्सीन मिल सकता है.
इन तीनों में से कोई भी प्रोटीन आधारित नहीं है, लेकिन भारतीय परिस्थितियों के लिए संभवत: अमेरिकी कंपनी मोडेरना सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इसके लिए अन्य संभावित टीकों की अपेक्षा उतने कम तापमान की आवश्यकता नहीं है.
रोग प्रतिरक्षा वैज्ञानिक सत्यजीत रथ ने कहा कि अमेरिका समर्थित फाइजर-बायोएनटेक और रूस के स्पूतनिक पांच को नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे प्रोटीन आधारित संभावित टीके की तुलना में बेहद कम तापमान में रखने की आवश्यकता है.
नयी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) से जुड़े रथ ने कहा, ‘‘एमआरएनए, डीएनए और वायरल वैक्टर आधारित टीकों के भंडारण के लिए आम तौर पर बहुत कम तापमान की आवश्यकता होती है, इसलिए भारत को नोवावैक्स या सानोफी के प्रोटीन आधारित संभावित टीके पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. भारत में इस संबंध में हो रहे दिलचस्प प्रयासों पर भी विचार किया जा सकता है.’’
विषाणु वैज्ञानिक शाहिद जमील ने कहा कि ऐसा बताया जा रहा है कि मोडेरना के टीके को 30 दिन तक फ्रिज में रखा जा सकता है और कमरे के तापमान में 12 घंटे तक रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया के कई अन्य ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मियों में तापमान बहुत अधिक रहता है और जिन टीकों के भंडारण के लिए बेहद कम तापमान आवश्यक है, वे गर्म स्थानों पर उपयोगी नहीं हो पाएंगे।
हरियाणा के अशोका विश्वविद्यालय में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेस के निदेशक जमील ने कहा, ‘‘फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन भारत के लिए अनुपयुक्त होगा, क्योंकि इसके भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की आवश्यकता है.’’ रथ ने कहा कि स्पूतनिक पांच को शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान पर रखने की आवश्यकता है. बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर राघवन वरदराजन ने भी कहा कि फाइजर भारत में व्यापक स्तर पर प्रयोग के लिए उपयुक्त नहीं है. उन्होंने कहा कि नोवावैक्स का प्रोटीन आधारित वैक्सीन अब तक सबसे उपयुक्त प्रतीत हो रहा है, लेकिन कई अन्य कारक भी मायने रखते हैं जैसे कि वैक्सीन कब तैयार हो पाता है और उसकी कीमत क्या होती है.
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नई दिल्ली: जब दुनियाभर में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए कई संभावित वैक्सीन परीक्षण के आखिरी चरण में पहुंच रहे हैं, ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत के लिए वे वैक्सीन संभवत: कारगर नहीं होंगे, जिनके भंडारण के लिए बेहद कम तापमान की आवश्यकता है और प्रोटीन आधारित वैक्सीन देश के लिए उपयुक्त हो सकता है.
वैज्ञानिकों ने अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे संभावित टीके को भारत के लिए सबसे उपयुक्त बताते हुए कहा कि कोविड-19 का सही वैक्सीन खरीदने का फैसला कई कारकों पर निर्भर करेगा. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वैक्सीन कितना सुरक्षित है, उसकी कीमत क्या है और उसे इस्तेमाल करना कितना सुविधाजनक है.
इससे वे तीन संभावित टीके संभवत: नकारे जा सकते हैं, जो पिछले कुछ दिन में 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावी साबित हुए हैं. फाइजर-बायोएनटेक तीसरे चरण के अंतरिम परिणाम में 90 प्रतिशत, स्पूतनिक पांच 92 प्रतिशत और मोडेरना 94.5 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है. इन संभावित टीकों के परीक्षणों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही कोरोना वायरस का वैक्सीन मिल सकता है.
इन तीनों में से कोई भी प्रोटीन आधारित नहीं है, लेकिन भारतीय परिस्थितियों के लिए संभवत: अमेरिकी कंपनी मोडेरना सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इसके लिए अन्य संभावित टीकों की अपेक्षा उतने कम तापमान की आवश्यकता नहीं है.
रोग प्रतिरक्षा वैज्ञानिक सत्यजीत रथ ने कहा कि अमेरिका समर्थित फाइजर-बायोएनटेक और रूस के स्पूतनिक पांच को नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे प्रोटीन आधारित संभावित टीके की तुलना में बेहद कम तापमान में रखने की आवश्यकता है.
नयी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) से जुड़े रथ ने कहा, ‘‘एमआरएनए, डीएनए और वायरल वैक्टर आधारित टीकों के भंडारण के लिए आम तौर पर बहुत कम तापमान की आवश्यकता होती है, इसलिए भारत को नोवावैक्स या सानोफी के प्रोटीन आधारित संभावित टीके पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. भारत में इस संबंध में हो रहे दिलचस्प प्रयासों पर भी विचार किया जा सकता है.’’
विषाणु वैज्ञानिक शाहिद जमील ने कहा कि ऐसा बताया जा रहा है कि मोडेरना के टीके को 30 दिन तक फ्रिज में रखा जा सकता है और कमरे के तापमान में 12 घंटे तक रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया के कई अन्य ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मियों में तापमान बहुत अधिक रहता है और जिन टीकों के भंडारण के लिए बेहद कम तापमान आवश्यक है, वे गर्म स्थानों पर उपयोगी नहीं हो पाएंगे।
हरियाणा के अशोका विश्वविद्यालय में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेस के निदेशक जमील ने कहा, ‘‘फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन भारत के लिए अनुपयुक्त होगा, क्योंकि इसके भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की आवश्यकता है.’’ रथ ने कहा कि स्पूतनिक पांच को शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान पर रखने की आवश्यकता है. बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर राघवन वरदराजन ने भी कहा कि फाइजर भारत में व्यापक स्तर पर प्रयोग के लिए उपयुक्त नहीं है. उन्होंने कहा कि नोवावैक्स का प्रोटीन आधारित वैक्सीन अब तक सबसे उपयुक्त प्रतीत हो रहा है, लेकिन कई अन्य कारक भी मायने रखते हैं जैसे कि वैक्सीन कब तैयार हो पाता है और उसकी कीमत क्या होती है.
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