COVID-19 से योद्धा बनकर लड़ रहे हैं रेल सुरक्षा बल के जवान
कोरोना वायरस से फैली महामारी से आज पूरा देश एकजुट होकर लड़ रहा है. इसी कड़ी में मध्य रेल के रेल सुरक्षा बल के जवान, रेल प्रशासन अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं.
मुम्बई: मध्य रेल के रेल सुरक्षा बल के जवान, रेल प्रशासन, चिकित्सा विभाग, राज्य पुलिस और सिविक प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोरोनोवायरस से मुकाबला कर रहे हैं. रेल सुरक्षा बल के जवान महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, परिसंपत्तियों और अन्य रेलवे संपत्तियों की सुरक्षा के लिए भी बहुत जरूरी काम में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. कोविड -19 का मुकाबला करने के लिए जागरूकता अभियान, खाद्य वितरण,मास्क एवं सेनिटाइज़र के उत्पादन में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
लॉकडाउन दौरान परिसंपत्तियों, कोचों, लोकोमोटिव, स्टेबल रेक, यार्ड, सिग्नलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्टेशन, रिले रूम, माल शेड, वैगन स्टॉक इत्यादि की सुरक्षा और उपयोग सुनिश्चित की जाती है और सभी फिक्स्ड और मूविंग एसेट्स पर नजर रखी जाती है. इस समय के दौरान, भारतीय रेलवे ने कोरोना वायरस के व्यापक प्रसार से निपटने के लिए एक रणनीति के तहत यात्री सेवाओं की आवाजाही पर रोक लगा दी है, लेकिन आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए मालगाड़ियों की आवाजाही, दवाओं को अभी भी पूरे देश में वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है.
इस लॉकडाउन के दौरान माल, पार्सल, आवश्यक वस्तुओं की सुरक्षा और देखभाल करना आरपीएफ अधिकारियों के लिए एक चुनौती है. हालांकि, इस कठिन समय में मध्य रेल की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए, भली-भांति काम करने वाले उसके कई कर्मचारी इस कठिन और सबसे कठिन समय में बहादुरी का काम कर रहे हैं. प्रत्येक माल / पार्सल रेलगाड़ियों को अपने गंतव्य के लिए रेलवे सुरक्षा बल कार्मियों द्वारा संरक्षित करता है.
रेल सुरक्षा बल के हेड कांस्टेबल एन.एस. राठौड़ और कमांडेंट आर.के.सैनी, आरपीएफ इस लॉकडाउन के दौरान ऐसे योद्धा हैं, जो इस महत्वपूर्ण समय में आवश्यक वस्तुओं और दवाओं के सुचारू संचालन और रख-रखाव को सुनिश्चित करने में विशेष योगदान दिया है. एन. एस. राठौड़ ने CSMT से लोनावाला के बीच स्पेशल पार्सल ट्रेन की देखभाल की और एक और पार्सल स्पेशल ट्रेन की रखवाली की, जबकि कमांडेंट सैनी ने स्पेशल पार्सल ट्रेनों को नासिक और नासिक से वापस ले कर आये. इस लॉकडाउन समय के दौरान, इन योद्धाओं ने सामान्य काम के घंटों की परवाह न करते हुए कई घंटे काम काम करते रहे , न जाने कब वे अपने बैरक में वापस आये, जिस स्थान पर वे रहते हैं. अपने परिवारों को मूल निवास पर छोड़ना और आवश्यक वस्तुओं को सुरक्षित रखने और लाखों नागरिकों तक अनिवार्य रूप से पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध होना उन्हें कोविड -19 के खिलाफ असली योद्धा बना देता है.
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