नई दिल्ली: देशव्यापी लॉकडाउन के बीच शहरों से गांव की तरफ पलायन कर जा रहे लोगों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की. कोर्ट ने इस मसले पर सरकार से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि वह यह देखना चाहती है कि सरकार इस मसले पर क्या क्या कदम उठा रही है.


वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई


सुप्रीम कोर्ट इन दिनों बेहद जरूरी मामलों की ही सुनवाई कर रहा है. यह सुनवाई भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जा रही है. मजदूरों के पलायन को लेकर दाखिल याचिकाओं को सुनवाई के लिए जरूरी मानते हुए कोर्ट ने इन्हें सूचीबद्ध किया. चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े और जस्टिस एल नागेश्वर राव ने मामले की सुनवाई अपने घर में बने दफ्तर से की.


मामले के दोनों याचिकाकर्ताओं अलख आलोक श्रीवास्तव और रश्मि बंसल ने भी अपने घर से ही जिरह की. केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अपने दफ्तर से ही जजों को संबोधित किया.


जवाब दाखिल करेगी सरकार


दोपहर 12:15 के करीब शुरू हुई सुनवाई में सबसे पहले याचिकाकर्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने अपनी बातें रखनी शुरू की. श्रीवास्तव ने कहा, “मैं दिल्ली-गाजियाबाद सीमा पर कौशांबी इलाके में रहता हूं. हर रोज हजारों मजदूरों को सड़क पर बदहाल स्थिति में पैदल सैकड़ों किलोमीटर का सफर करते हुए देख रहा हूं. इसलिए यह याचिका दाखिल करना मुझे जरूरी लगा. इन मजबूर लोगों को तुरंत सरकारी इमारतों में ठहराया जाना जरूरी है.''


उन्होंने कहा, '' इनके खाने-पीने, रहने और मेडिकल सुविधाओं पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है, ताकि किसी भी तरह से कोरोना महामारी देश में फैलने ना पाए. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि राज्य सरकारें कभी बस चला दे रही हैं, कभी उसे बंद कर दे रही हैं. इसके चलते भी बहुत ज्यादा भ्रम फैला है. केंद्र और राज्य सरकारों में आपस में समन्वय नजर नहीं आ रहा है. इसलिए, कोर्ट को मामले में दखल देना चाहिए.''


इसका जवाब देते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “केंद्र और राज्य सरकारें इस मसले पर कई कदम उठा रही हैं. स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए जिम्मेदारी से काम किया जा रहा है. हम सुप्रीम कोर्ट को इस मसले पर एक रिपोर्ट देना चाहते हैं. हमें इसकी इजाजत दी जाए.''


‘भ्रम नहीं फैलाना चाहते’- CJI


जजों ने सॉलिसिटर जनरल की बात से सहमति जताते हुए कहा, “हम निश्चित रूप से आपकी रिपोर्ट देखना चाहेंगे. हम ऐसा कुछ भी करने का निर्देश नहीं देना चाहते, जो सरकार पहले से कर रही है. इससे सिर्फ और भ्रम फैलेगा. इसलिए आप अपना जवाब दाखिल करें. उसे देखकर ही हम आगे की सुनवाई करेंगे.''


‘वायरस से भी खतरनाक है डर’


मामले की दूसरी याचिकाकर्ता रश्मि बंसल ने कहा, “पलायन कर रहे लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाना दिया जाना बेहद जरूरी है. उनके सामान को भी सैनिटाइज किए जाने की जरूरत है.'' इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “हम समझते हैं कि सरकार जो रिपोर्ट दाखिल करेगी, उसमें लोगों के स्वास्थ्य को लेकर उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी होगी.''


इसके बाद याचिकाकर्ता ने कहा, “हजारों की संख्या में जो लोग गांव की तरफ भाग रहे हैं वह घबराए हुए हैं. उन्हें काउंसलिंग की जरूरत है.'' इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “असल में डर वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है.''


कल फिर सुनवाई


इस बीच सॉलीसीटर जनरल ने अनुरोध भरे स्वर में कहा, “मेरा निवेदन है कि कोर्ट ऐसा कोई भी आदेश न दे, जिससे लगे कि वह पलायन को आसान बनाना चाहता है. इस समय जरूरत इस बात की है कि जो जहां है वही रहे. हम इस दिशा में काम कर रहे हैं.''


चीफ जस्टिस ने एक बार फिर दोहराया, “हम आज कोई आदेश जारी नहीं करेंगे. हम चाहते हैं कि सरकार अपना काम करें. आप स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल कीजिए. कल दोपहर इसी समय पर हम फिर से मामले की सुनवाई करेंगे.''


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