नई दिल्ली: दिल्ली में जानलेवा कोरोना वायरस एक बार फिर तेज़ी से पांव पसार रहा है. एक ओर एक दिन में आने वाले पॉजिटिव मामलों का आंकड़ा चार हज़ार के पार जा चुका है तो वहीं दिल्ली में तेजी से कंटेन्मेंट ज़ोन की संख्या भी बढ़ती जा रही है. दिल्ली में कोरोना को कन्टेन करने के लिये दिल्ली सरकार ने माइक्रो कंटेन्मेंट ज़ोन नीति को हथियार बनाया है.


5 अप्रैल को दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में अभी 3090 एक्टिव कंटेनमेंट जोन बनाये जा चुके हैं. इनमें सबसे ज़्यादा कंटेन्मेंट ज़ोन दक्षिणी दिल्ली में बनाये गये हैं. आंकड़ों के मुताबिक 1 मार्च 2021 से 5 अप्रैल 2021 तक करीब 2500 कंटेन्मेंट ज़ोन देश की राजधानी में बनाए जा चुके हैं. इनमे से 900 कंटेन्मेंट ज़ोन अकेले अप्रैल के 5 दिनों में बनाये गये हैं.


क्या है माइक्रो कंटेन्मेंट ज़ोन?


दरअसल दिल्ली सरकार माइक्रो कंटेनमेंट जोन बना रही है, जिसके तहत किसी भी एक परिवार, घर, बिल्डिंग या फ्लोर आदि पर 2 या 3 कोरोना मामले सामने आने के बाद ही उस इलाके को कंटेन या सील कर दिया जाता है. कंटेनमेंट जोन कोई एक बिल्डिंग या एक घर भी हो सकता है. सील की गयी जगह पर सभी तरह की गतिविधियां प्रतिबंधित कर दी जाती हैं और यहां रहने वाले लोगों के लिए दूध, दवाई और सब्जी के अलावा मूलभूत सुविधाएं देने की ज़िम्मेदारी प्रशासन की होती है.


दिल्ली के काली बाड़ी मार्ग की एक सोसाइटी में एक बिल्डिंग में इसी तरह से माइक्रो कंटेन्मेंट ज़ोन बनाया गया है. ABP न्यूज़ की टीम ने इस इलाके में पहुँची. यहां बिल्डिंग के एक हिस्से में तीन नए मामले सामने आने के बाद उसे कंटेनमेंट जोन में बदल दिया गया है. इलाके कंटेनमेंट नीति का पालन कराने के लिए जिला प्रशासन की टीम भी तैनात की गई है. टीम में शामिल सिविल डिफेंस वालंटियर महेश कुमार ने बताया कि वे यहां कंटेनमेंट जोन में रह रहे लोगों की आम जरूरतों से लेकर दवाई तक का ध्यान रखते हैं. साथ ही, इन माइक्रो कंटेन्मेंट ज़ोन में रैंडम टेस्टिंग भी की जा रही है. जो कंटेनमेंट जोन के करीब रह रहे लोगों और यहां आने जाने वालों का कोरोना टेस्ट करती है. टीम की इंचार्ज और नर्सिंग स्टाफ प्रीति के मुताबिक 2-3 केस पर एरिया को कन्टेन कर दिया जाता है. रैंडम टेस्टिंग से लोगों की ट्रेसिंग में काफी मदद मिलती है.


इलाके के एसडीएम नितिन शाक्या ने बताया कि कोरोना की चेन तोड़ने के लिए माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए जा रहे हैं. किसी भी एक जगह से 2-3 केस आने पर पूरे इलाके के लोगों को परेशानी न हो, इसके लिए उस घर या उस बिल्डिंग को कंटेनमेंट जोन बना दिया जाता है और उस खास जगह पर हर तरह की गतिविधियां प्रतिबंधित कर दी जाती हैं. एसडीएम ने कहा कि ऐसे जोन में रह रहे लोगों की हर तरह की सुविधा का ख्याल भी जिला प्रशासन की तरफ से रखा जा रहा है.


दिल्ली में कंटेन्मेंट ज़ोन की मौजूदा स्तिथि-


दिल्ली सरकार के डेटा के मुताबिक 5 अप्रैल तक दिल्ली के 11 जिलों में कंटेनमेंट ज़ोन के आंकड़े हैं-




  • सबसे अधिक 749 कंटेन्मेंट ज़ोन दक्षिण जिले में हैं.

  • उत्तरी जिले में 444 कंटेनमेंट जोन हैं.

  • मार्च से लेकर अप्रैल तक दक्षिणी और उत्तरी जिलों में सबसे अधिक कोरोना के मामले सामने आए हैं और यहां बड़ी संख्या में इलाकों को सील किया गया है.

  • इसके अलावा नई दिल्ली में 350,पश्चिमी दिल्ली में 301,दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में 290,उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में 289,दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली में 261,शाहदरा में 108,सेंट्रल दिल्ली में 108 कंटेन्मेंट ज़ोन हैं.

  • उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 97 और पूर्वी दिल्ली में सबसे कम 93 कंटेनमेंट जोन हैं.


कोरोना की शुरुआत से अब तक दिल्ली में कुल 18905 कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं, जिनमें से 15815 को डीकंटेन किया जा चुका है. जबकि 389 कंटेनमेंट जोन को आने वाले दिनों में मुक्त किया जा सकता है. आंकड़ों के मुताबिक 21 जून 2020 के बाद से 5 अप्रैल 2021 तक पूरी दिल्ली में 17133 कंटेनमेंट जोन बन चुके हैं.


दक्षिणी दिल्ली में कई पॉश इलाके होने के बावजूद कंटेनमेंट ज़ोन की बढ़ती संख्या पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि इस बार ऐसा ट्रेंड देखने में आ रहा है कि जो अपर क्लास या अपर मिडिल क्लास वाले लोग हैं उनमें कोरोना के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं.


कोरोना की रोकथाम के लिए बनाए जा रहे हैं माइक्रो कंटेनमेंट जोन 


यह वायरस जिस तरह से व्यवहार कर रहा है, उसमें समझ आ रहा है कि इसके बढ़ने की संख्या काफी ज्यादा है. अब एक परिवार में एक या दो सदस्य नहीं बल्कि पूरा परिवार संक्रमित मिल रहा है. इसलिये इसकी रोकथाम के लिए दिल्ली के अंदर माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए जा रहे हैं. एक ही जगह पर 2-3 संक्रमित मरीजों के मिलने पर उस जगह को कंटेनमेंट जोन बनाया जाएगा. दिल्ली सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस कदम से कोरोना महामारी को रोकने में काफी मदद मिलेगी और संक्रमित व्यक्तियों को जल्द ही ढूंढ कर उनका इलाज सुनिश्चित किया जा सकेगा.


दरअसल दिल्ली में पहले कंटेनमेंट जोन का दायरा काफी बड़ा होता था. एक बड़ा इलाका कंटेन्मेंट ज़ोन के तहत सील कर दिया जाता था. सील होने की वजह से हजारों की संख्या में लोग प्रतिबंध से प्रभावित भी होते थे और उस इलाके में संक्रमण फैलने की संभावना भी ज़्यादा होती थी. अगस्त 2020 में कंटेनमेंट जोन की री-मैपिंग और री-डिजाइनिंग की प्रक्रिया शुरू की गई जिसके बाद कंटेंनमेंट ज़ोन का दायरा छोटा कर दिया गया था.


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