नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी पहल की और लंबे समय बाद SAARC देशों के नेताओं को एक मंच पर लाया. लेकिन इस दौरान पाकिस्तान ओछी राजनीति करने से बाज नहीं आया. मदद के बहाने पाकिस्तान ने भारत के आंतरिक मामले कश्मीर का जिक्र किया.


पाकिस्तान के स्वास्थ्य राज्य मंत्री जफर मिर्जा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कहा, ''कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिये जम्मू कश्मीर में सभी तरह की पाबंदी को हटा लेना चाहिए.''


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के स्वास्थ्य मामलों पर विशेष सहायक जफर मिर्जा ने कहा कि कोरोना वायरस फैलने के मद्देनजर उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये कोई भी देश मुंह नहीं मोड़ सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि हमें सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करनी चाहिये और सबसे खराब के लिये तैयार रहना चाहिये.


दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दक्षेस (SAARC) देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों से कोरोना वायरस से निपटने के लिये संयुक्त रणनीति बनाने को लेकर संवाद करते हुए सतर्क रहने की जरूरत पर बल दिया. साथ ही उन्होंने इसको लेकर नहीं घबराने की अपील की.


यही नहीं पीएम मोदी ने दक्षेस में COVID-19 इमरजेंसी फंड बनाने का प्रस्ताव दिया और कहा कि भारत इस फंड के लिये 1 करोड़ डॉलर की प्रारंभिक पेशकश से शुरूआत कर सकता है.


मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने कोविड-19 के खतरे से निपटने के लिए समन्वित पहल पर जोर देते हुए कहा कि कोई भी देश इस हालात से अकेले नहीं निपट सकता. सोलिह ने कोविड-19 की चुनौती से निपटने के वास्ते क्षेत्रीय पहल करने और कोविड - 19 आपात कोष स्थापित करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सुझाव का स्वागत किया.


वीडियो कॉफ्रेंसिंग में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली, भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के स्वास्थ्य ममलों पर विशेष सहायक जफर मिर्जा भी शामिल हुए.


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