नई दिल्ली: कोविड 19 की दूसरी लहर देश पर कहर बनकर टूटी है, इस लहर कई लोगों ने अपनों को खोया है. किसी के जीने का सहारा चला गया तो किसी के सिर पर उसका साया नहीं रहा. कोरोना के चलते एक पल में पूरा परिवार बिखर गया. ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र के पिंपरी-चिंचवाड़ के आकुर्डी इलाके से सामने आया है. यहां दो दिन के भीतर 30 साल से कम उम्र के दो भाइयों की कोरोना से मौत हो गई. वहीं इनके पिता का इलाज चल रहा है, जिन्हें अभी तक बेटों की मौत की जानकारी नहीं दी गई है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, बड़े भाई का नाम आदित्य विजय जाधव था, उसकी उम्र 28 साल थी. वहीं छोटे भाई का नाम अपूर्व विजय जाधव था और वो 25 साल का था. अपूर्व की शादी नहीं हुई थी जबकि आदित्य की शादी को एक साल से ऊपर ही हुआ था. मृतक भाइयों के मामा हेमंत कोंडे ने बताया, ''दोनों भाई 72 घंटे की भीतर की मौत के मुंह में चले गए. दोनों को कोविड निमोनिया था और दोनों ही वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे.''
हेमंत कोंडे ने बताया, ''अपूर्व को एक मई को कोरोना हुआ था, वो पुणे नगर निगम (पीएमसी) के अतिक्रमण विरोधी विभाग में काम करता था. महामारी को देखते हुए निकाय अधिकारियों ने उसे भवानी पेठ के पीएमसी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया था. हमें लगता है अस्पताल में ही वो वायरस की चपेट में आया.''
अपूर्व को एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. मामा ने बताय, ''वह दो-तीन दिन घर पर ही रहा। जब वह असहज महसूस करने लगे, तो हमने उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया. बाद में परिवार में माता, पिता, भाई और भाई की पत्नी का भी कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया.
उन्होंने कहा, ''परिवार के सदस्यों को घरकुल कोविड केयर सेंटर में भर्ती कराया गया. जब आदित्य को बेचैनी हुई, तो उन्हें जंबो अस्पताल में भर्ती कराया गया और कुछ दिनों बाद, उनके पिता को वाईसीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया.
कोंडे ने बताया कि वे पीपीई किट पहन कर दोनों भाइयों को देखने गए थे. उन्होंने कहा, ''अपूर्व शुरू में ठीक दिख रहा था लेकिन बाद मेंउसका ऑक्सीजन लेबल नीचे चला गया. उसे आईसीयू में ले गए और बाद में वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया'' कोंडे आरोप लगाते हैं कि आदित्य का इलाज ढंग से नहीं हुआ. उन्होंने कहा, ''उन्होंने शिकायत की कि उचित देखभाल नहीं हो रही है। कुछ दिनों बाद हमने उसे अकुर्दी के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया, जहां उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया.''
उन्होंने कहा कि आदित्य बिल्डर योगेश जैन और देवेश जैन के यहां काम करता था. उन्होंने इलाज में काफी मदद की. इसके साथ अपूर्व और आदित्य के बारे में बात करते हुए कोंडे ने कहा कि दोनों भाई बहुत मेहनती थे और कठिन समय में अपने परिवार की मदद करते थे. उन्होंने बताया, ''उनके पिता को मामूली वेतन मिलता था। दोनों भाइयों ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की, विशेष रूप से अपूर्वा ने पीएमसी में शानदार काम किया. जब पीएमसी ने उन्हें अतिक्रमण विरोधी विभाग से कोविड अस्पताल में ट्रांसफर किया तब वे डरे नहीं और अपनी पूरी कोशिश की.''