नई दिल्ली: राजस्थान के कोटा में यूपी की करीब 250 बसें छात्रों को लेने पहुंची थी. बच्चों को सामाजिक दूरी के नियम का पालन करते हुए बसों में बिठाना था, लेकिन जब बच्चे बस स्टैंड पर पहुंचे तो सामाजिक दूरी के नियम की धज्जियां उड़ गई. कोटा बस स्टैंड पर एक साथ दर्जन भर से ज्यादा बसें खड़ी थी. हर बस में बारी-बारी से 30 छात्रों को बिठाना था, लेकिन बस पकड़ने के लिए छात्रों की भारी भीड़ जुट गई. इस दौरान ना कोरोना संक्रमण का डर था, ना चेहरे पर मास्क, ना ही एक दूसरे के बीच कोई फासला था.


बता दें कि कोटा में करीब 30 हजार छात्र लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने कोटा से 8 हजार बच्चों को यूपी लाने के लिए बस का इंतजाम किया है. यूपी से कोटा करीब 250 बसें भेजी गई हैं. 150 बसें आगरा से रवाना हुई तो वहीं 100 बसें झांसी से भेजी गई. ज्यादातर बसें कोटा पहुंच भी गई लेकिन जब बसों में बच्चों को बिठाया गया उस वक्त सामाजिक दूरी के के नियम को ताक पर रख दिया गया.


कोटा पहुंचने वाली बसों में यूपी से पुलिस वाले भी भेजे गए थे. इन पुलिसकर्मियों को छात्रों को कोटा से यूपी सुरक्षित लाना है. लेकिन जब सामाजिक दूरी टूटी तो पुलिसकर्मी भी बेबस दिखे. अब कोटा से छात्रों को बस से यूपी लाए जाने पर बिहार सरकार ने नाराजगी जताई है.


बिहार सरकार ने यूपी से कोटा बस चलाए जाने का विरोध किया है. बिहार से सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि ''यूपी सरकार का कदम लॉकडाउन के नियमों और उद्देश्य के खिलाफ है. ऐसा नहीं होना चाहिए. यूपी से कोटा बस चलाए जाने पर दूसरे राज्यों पर दबाव बनेगा. लोग कहेंगे कि जब यूपी सरकार कोटा से छात्रों को बुला रही है तो दूसरे राज्यों के सरकारों को भी कोटा से अपने छात्रों को बुलाना चाहिए. लोग ट्रेन और बस चलाने की मांग करेंगे. केंद्र सरकार को इसे देखाना चाहिए.''


मालूम हो कि राजस्थान में कोरोना के एक हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं. अकेले कोटा में 90 से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हैं. ऐसे में यूपी सरकार का लॉकडाउन के बावजूद बच्चों को निकालने के लिए 250 बसें कोटा भेजने का फैसला कितना सही है...ये बड़ा सवाल है.


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