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'चीन और जापान में कोरोना के बढ़ते मामलों से घबराने की जरूरत नहीं, बस सतर्क रहें'- एक्सपर्ट

Covid 19: एक्सपर्ट ने बताया कि इसमें कोई शक नहीं है कि यह स्वरूप तेजी से फैलता है. ओमिक्रोन का वेरिएंट 5 भी हमारे यहां तेजी से फैला था, लेकिन वह जल्दी खत्म भी हुआ. बीएफ.7 भी जल्दी खत्म होगा.

Coronavirus In India: चीन में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और वहां से आ रही भयावह तस्वीरों ने भारतीयों को एक बार फिर सहमा दिया है. भारतीयों के लिए यह कितनी चिंता का विषय है, इस बारे में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) में महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के पूर्व प्रमुख 'पद्मश्री' रमन गंगाखेड़कर ने भाषा से बातचीत की.

सवाल: चीन, जापान और दक्षिण कोरिया सहित विश्व के कई देशों से कोविड-19 की जो तस्वीर आ रही है, उसने देशवासियों को डरा दिया है. भारत के लिए यह कितनी चिंता की बात है?

जवाब: हमें डरना नहीं है, सतर्क रहना है. हमें एक चीज समझनी है. चीन ने 'शून्य कोविड नीति' अपनाई थी. उसने अचानक से इसे बंद कर दिया और नतीजा सबके सामने है. जापान की बात करें तो उसने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय आवाजाही से प्रतिबंध हटाए हैं. वहां क्या स्थिति है, इससे हम सब परिचित हैं.

हम लोगों ने क्या किया था? हमने धीरे-धीरे करके प्रतिबंध हटाए थे, एक साथ नहीं हटाया था. इस वजह से फायदा यह हुआ कि कम आबादी बाहर निकली और संक्रमण कम फैला. चीन के टीके की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं है. वहां कम ही लोगों को बूस्टर खुराक लगाई गई है. वहां उम्रदराज लोगों की आबादी भी अधिक है, इसलिए वहां मृत्यु दर की संभावना ज्यादा है.

रमन गंगाखेड़कर ने आगे कहा, "इसकी तुलना हम अपने देश से करें तो हमारे यहां 65 वर्ष से ज्यादा लोगों की आबादी छह प्रतिशत ही है. चीन हो या जापान, यह आबादी उनके यहां तीन गुना ज्यादा है. उनके यहां आंकड़े ज्यादा दिखेंगे. वह चाहे संक्रमण के हों या फिर मौत के. इन आंकड़ों को देखकर हमें डरना नहीं है. हमें अभी चिंता करने की जरूरत नहीं है, बल्कि सतर्क रहना है. आज जो स्थिति चीन में है, उससे सारी दुनिया में कोई संकट खड़ा हो जाएगा, ऐसा मुझे नहीं लगता."

सवाल: चीन में इस वक्त कोरोना वायरस का जो स्वरूप फैल रहा है उसे ओमीक्रोन का उपस्वरूप बीएफ.7 कहा जा रहा है. वायरस का नया स्वरूप क्या क्या तेजी से उत्परिवर्तित होगा और यह कितना खतरनाक हो सकता है?

जवाब: इसमें कोई शक नहीं है कि यह स्वरूप तेजी से फैलता है. ओमिक्रोन का स्वरूप पांच भी हमारे यहां तेजी से फैला था, लेकिन वह जल्दी खत्म भी हुआ. बीएफ.7 भी जल्दी खत्म होगा, चीन में भी. इसमें कोई नया उत्परिवर्तन होगा, ऐसा लगता नहीं है, क्योंकि 11 महीने हो गए हैं, ओमिक्रोन सारी दुनिया में फैल रहा है. 11 महीने का समय लंबा होता है. इतने समय में वह कोई नया स्वरूप पैदा नहीं कर सका है. कोई नया स्वरूप आएगा, यह हमारे मन का डर है. विज्ञान के मुताबिक यह होना थोड़ा कठिन लगता है.

सवाल: सरकार वर्तमान स्थिति पर निगरानी बनाए हुए है. राज्यों को परामर्श जारी किए गए हैं और भी कई कदम उठाए जा रहे हैं. किसी नई लहर की संभावना के मद्देनजर हम कितने तैयार हैं?

जवाब: हमारे अस्पतालों को पूरा अनुभव है, उनमें अच्छी खासी संख्या में बिस्तर उपलब्ध हैं. हमारे यहां लोगों में जागरूकता भी आ गई है और वे मास्क का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. हमने 90 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को टीका लगाया है. एहतियाती खुराक के लिए भी सरकार भरसक प्रयत्न कर रही है. सरकार ने तो अब नेजल वैक्सीन को भी मंजूरी दे दी है. इसकी भी पूरी तैयारी है. हम इसे बूस्टर खुराक के रूप में ले सकते हैं. यह तो बड़ी उपलब्धि है. सरकार जीनोम सीक्वेसिंग पर जोर दे रही है. अगर कोई नया स्वरूप आता है तो उसका भी हमें पता चलेगा. डरने का कोई कारण नहीं है. सरकार ने भरसक प्रयत्न किए हुए हैं.

सवाल: विदेशों से भारत आने वाले विमानों पर रोक की मांग तेजी से उठ रही है लेकिन सरकार ने फिलहाल इससे इनकार किया है. क्या दो प्रतिशत लोगों की आरटी-पीसीआर जांच काफी है?

जवाब: बिलकुल है, आपको अगर पुराना समय याद हो तो मैं बताऊं... जब कोविड-19 की पहली लहर आई थी तो हमने विमानों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया था. विदेशों से आने वाले नागरिकों की जांच भी की जा रही थी. यह सब करने के बावजूद क्या हम कोविड-19 को फैलने से रोक पाए? नहीं ना, इससे यह हुआ कि हमारी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा.

अभी जो कोविड का स्वरूप है वह चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका में भी मिल रहा है. तो क्या इन देशों ने विमानों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. हमारे यहां भी यह स्वरूप वास्तव में पहले ही आ गया था. हालांकि इसकी संख्या कम थी. सच्चाई यह है कि हमारे यहां चुनाव हुए और दीपावली व दशहरा जैसे त्योहार भी मनाए गए, लेकिन इसके बावजूद संक्रमण के मामलों में कोई बड़ा इजाफा नहीं देखा गया. जरूरत नहीं है कि विमानों की आवाजाही को बंद किया जाए. विदेशियों के आने पर तो हम प्रतिबंध लगा सकते हैं लेकिन क्या हम विदेशों से लौटने वाले भारतीयों को रोक सकते हैं. हमको यह भी समझना पड़ेगा.

सवाल: चीन की शून्य कोविड नीति पर सवाल उठ रहे हैं. वह कोविड से होने वाली मौत भी उन्हें ही मान रहा है, जिसमें निमोनिया के मामले या ऐसे मामले जिनमें मौत के पीछे सांस से जुड़ी बीमारी शामिल हो. यह तरीका विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोरोना से मौत मापने के तरीके से अलग है. आप क्या कहेंगे?

जवाब: डेल्टा स्वरूप के समय में निमोनिया से मरने वालों की तादाद ज्यादा होती थी. ओमिक्रोन स्वरूप फेफड़े में नहीं जाता है. यह गले के अंदर से जाकर निमोनिया पैदा नहीं करेगा लेकिन अन्य तकलीफ पैदा करेगा. तो जो निमोनिया से मर गए, उन्हें ही कोविड हुआ था यह बोलना डेल्टा स्वरूप के लिए सही था लेकिन ओमिक्रोन में यह बोलना ठीक नहीं है. ओमिक्रोन में दिल का दौरा पड़ने से या अन्य वजहों से जो मौतें हो रही हैं, उनकी सही संख्या नहीं आ रही है. वैसे भी चीन वाले सच नहीं बोलते हैं, यह सब जानते हैं. इसलिए सवाल उठना लाजिमी है.

ये भी पढ़ें- Explainer: एयरपोर्ट पर RT-PCR टेस्टिंग, अस्पतालों में मॉक ड्रिल...जानिए कोरोना को रोकने के लिए कैसी है भारत की तैयारी

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